Urea : यूरिया के साथ कभी भी ना करें इस उर्वरक का इस्तेमाल, पैदावार घटने की आशंका
The Chopal ( Nano Urea ) किसान साथी फसल की बढ़वार के लिए खाद व उर्वरक का उपयोग करते हैं। देश में फसलों में डाली जाने वाली उर्वरक ज़्यादा से ज्यादा यूरिया का प्रयोग किया जाता है। यूरिया का छिड़काव करने से फसल की बंपर पैदावार होती है, ऐसा किसान मानते हैं, परंतु यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल फसल को विशेला बना देता है। ऐसे में किसानों को कम मात्रा में यूरिया का उपयोग अपनी फसल में करना चाहिए।
वहीं बढ़िया पैदावार के लिए यूरिया के साथ कभी भी इसी तरह के अन्य उर्वरक का इस्तेमाल में नहीं लेनी चाहिए जो इसकी जगह प्रयोग में लिया जाता हो। जैसे आजकल नैनो यूरिया जो तरल रूप में आता है उसकी चर्चा काफी हो रही है। बताया जा रहा है कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसान की उपज में कमी आई और उसका फसल का उत्पादन 2 क्विंटल तक गिर गया। इसी तरह कई जगहों से नैनो यूरिया के इस्तेमाल पर इसका प्रभाव उपज की कमी के रूप में दिखाई दिया। इसे लेकर पंजाब एग्रीकल्चर यूर्निवर्सिटी (पीएयू) के एक शोध के अनुसार नैनो यूरिया के उपयोग से फसल की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव, प्रोटीन सामग्री में उल्लेखनीय गिरावट और खेती के खर्च में समग्र बढ़ोतरी को उजागर किया है। इस यूनिवर्सिटी की ओर से नैनो यूरिया पर किए गए शोध के जो परिणाम आए, वे इसके द्वारा पैदावार बढ़ाने के दावे पर प्रश्न चिह्न लगाते हैं।
यूरिया के साथ ना ले नैनो यूरिया काम
नैनो यूरिया को लेकर हाल ही में PM मोदी ने कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विकसित भारत संक्ल्प यात्रा के लाभार्थियों से बातचीत की। इस दौरान मोदी जी ने प्राकृतिक खेती के चलन पर चर्चा करते हुए बोले कि किसान रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को नियंत्रित करें। साथ ही मोदी जी ने कहा कि किसान यूरिया के साथ नैनो यूरिया का प्रयोग न करें, सिर्फ नैनो का ही उपयोग करें। ऐसे में जो किसान साथी यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं, वे इसके साथ नैनो यूरिया का इस्तेमाल ना करें। वहीं जो किसान नैनो यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं वे सिर्फ नैनो यूरिया का ही उपयोग करें, इसके साथ यूरिया ना डाले। बताया जा रहा है यूरिया के साथ नैनो डालने से पैदावार में गिरावट आ सकती है।
नैनो यूरिया के प्रयोग से गेहूं की 20 प्रतिशत गिरावट
पंजाब एग्रीकल्चर यूर्निवर्सिटी की खोज ने IFFCO के नैनो यूरिया के प्रयोग का पालन किया जिसके कारण पारंपरिक नाइट्रोजन-उर्वरक के अनुप्रयोग की तुलना में धान और गेहूं की पैदावार में कमी देखी गई है। नैनो-यूरिया के प्रयोग से गेहूं की पैदावार में 21.6 प्रतिशत और धान की पैदावार में 13 प्रतिशत की कमी नजर आई । उपयोग से यह देखने को मिला कि नैनो-यूरिया के उपयोग से भूमि के ऊपर टिलर बायोमास और जड़ की घनत्वता में भी कमी नजर आई।
यूरिया व नैनो यूरिया में से एक प्रयोग करे
इस मोके पर PM मोदी ने किसानों साथियों को जानकारी देते हुए कहा है कि भारत देश के किसानों से मैं आग्रह करता हूं कि वे यूरिया व नैनो यूरिया दोनों का प्रयोग न करें। जहां भी उपलब्ध हो, नैनो यूरिया का ही प्रयोग करें। मोदी जी ने यह भी कहा कि जब सरकार सबका साथ ओर सबका विकास की भावना के साथ काम करती है तो योजनाओं का लाभ लास्ट व्यक्ति तक पहुंचाता है। इसके बाद भी यदि कोई छूट जाता है तो पीएम की गांरटी की गाडी उस तक लाभ पहुंचा देगी। उन्होंने कहा कि सरकार पैक्स को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है और सरकार की ओर से दो लाख भंडारण इकाईयां बनाने की योजना है।
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