डबल मुनाफा देगी गेहूं की खेती, सिंचाई करते समय किसान भाई रखे ये ध्यान, लाखों में होगी कमाई
Gehu Ki Kheti : गेहूं की खेती में बंपर मुनाफा प्राप्त करने के लिए सिंचाई एक महत्वपूर्ण कारक है। गेहूं की फसल को सही समय पर और सही मात्रा में पानी देना उपज और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है।
The Chopal : गेहूं पूरे फसल चक्र में चार से छह बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। भारी मिट्टी को चार बार और हल्की मिट्टी को छह बार सिंचाई करते हैं। गेहूं की खेती में सिंचाई बहुत फायदेमंद होती है। ठंड बढ़ने से गेहूं की फसल अच्छी तरह बढ़ रही है और आगे बंपर उपज की संभावना अच्छी होगी है। ऐसे में गेहूं की फसल को स्वस्थ बनाए रखने के लिए किसान कुछ खास बातों का ध्यान रख सकते हैं।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण का रोल सबसे महत्वपूर्ण है। गेहूं की फसल को पूरे जीवन में 35 से 40 सेमी पानी चाहिए। गेहूं की फसल को तब पानी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, जब गेहूं की बालियों और जड़ों के निकलने का समय गेहूं की क्राउन या छत्रक है। गेहूं को हर तीन बार पानी देना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं होता तो फसल स्वस्थ नहीं होगी। गेहूं की छह अवस्थाओं में सिंचाई बहुत फायदेमंद है।
गेहूं की सिंचाई का लाभ कब मिलेगा?
1 - गेहूं की पहली बुआई 20 से 25 दिनों बाद करें जब जड़ बनने लगे।
2 - दूसरी सिंचाई बुआई के 40 से 45 दिनों बाद करें जब कल्लों का विकास होने लगे।
3 - तीसरी सिंचाई बुआई के 65 से 70 दिनों के बाद होगी, जब तने में गांठ पड़ने लगेगी।
4- जब फूल 90 से 95 दिनों बाद आने लगें, तो चौथी बार बुआई करें।
5 - पांचवीं सिंचाई बुआई के 105 से 110 दिनों के बाद की जाएगी। जब दानों में दूध जमा होने लगा।
6 - बुआई के 120-125 दिनों बाद, गेहूं का दाना सख्त होने पर छठी या अंतिम सिंचाई करें।
सिंचाई के बाद इन कार्यों को करें
सिंचाई के बाद एक तिहाई नाइट्रोजन छिड़काव करें। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि खरपतवार फसलों पर 47 प्रतिशत नाइट्रोजन, 42 प्रतिशत फास्फोरस, 50 प्रतिशत पोटाश, 24 प्रतिशत मैग्नीशियम और 39 प्रतिशत कैल्शियम का उपयोग करते हैं। खरपतवार रोगों और कीटों को भी आसरा देते हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए खरपतवार को मार डालना बहुत जरूरी है।
इस संबंध में, जिला कृषि अधिकारी हरेंद्र ने कहा कि गेहूं की अधिकतम उपज के लिए सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण है। गेहूं को अक्सर पांच बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। लेकिन सोनभद्र की मिट्टी में तीन बार सही समय पर सिंचाई करने से किसानों को बेहतर उत्पादन मिलेगा और खाद का भी सही चयन होगा।