गेहूं की खेती किसानों को कर देगी मालामाल, दोगुनी पैदावार के लिए करें इस विधि से बुवाई
Wheat Farming : गेंहू की खेती करने का समय अब नजदीक आने लगा है। गेंहू की खेती अगर सही जानकारी के साथ की जाए तो किसानों को बहुत ज्यादा फायदा पहुंचा सकती है। इसकी खेती खास बातों का ध्यान रखना अति जरूरी होता है।
Wheat Farming Method : गेहूं की खेती करते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से आपकी फसल अच्छी तरह से तैयार होगी। गेहूँ की खेती में समशीतोषण जलवायु की जरूरत होती है, इसके लिए बुवाई के समय 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता है। गेहूँ की खेती मुख्य रूप से सिंचाई पर निर्भर करती है। गेहूँ की खेती के लिए दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है, लेकिन इसकी खेती बलुई दोमट, भारी दोमट, मटियार, मार और कावर भूमि में भी की जा सकती है।
आज की दुनिया में गेहूं की खेती से किसानों को लाभ मिल सकता है। गेहूं की खेती से लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है अगर कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाता है और सही देखभाल दी जाती है। खेती में खाद और उर्वरक के सही तालमेल से उत्पादन दोगुना होता है। गेहूं की खेती के बारे में पूरी जानकारी पढ़ें।
गेहूं को बोने का सही समय
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि गेहूं की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच करनी चाहिए। इस दौरान अच्छी प्रजातियों की बुवाई की जाती है। 15 दिसंबर से 20 दिसंबर तक देरी वाली और मध्यम प्रजातियां बोई जाती हैं। गेहूं की बुवाई से पहले खेत को जुताना चाहिए, ताकि फसल अच्छी तरह से जम सके।
बुवाई से पहले तैयार हो जाओ
15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच एक बीघा भूमि पर 25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होगा। यदि देर से बुवाई कर रहे हैं, तो बीज की मात्रा 25 से 35 kg होनी चाहिए। उर्वरक संतुलित होना भी महत्वपूर्ण है। गोबर और कंपोस्ट की कमी होने पर न्यूरोटा पोटाश, नाइट्रोजन, यूरिया, डीएपी, फास्फोरस और सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) का उपयोग करना चाहिए। साथ ही बुवाई के दौरान पांच किलोग्राम सल्फर और तीन किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
इस तरह बुवाई करें
सीड ड्रिल विधि से गेंहू की बुवाई करना अधिक फायदेमंद है क्योंकि इसमें बीज और उर्वरक एक साथ डाले जाते हैं, जिससे पौधों को पोषक तत्व मिलने लगते हैं। 20 से 25 दिनों के बीच पहली सिंचाई करें और नाइट्रोजन या यूरिया का इस्तेमाल करें। गेहूं की फसल में पानी और उर्वरक का संतुलन महत्वपूर्ण है।
