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कम लागत में किसान इस खेती से कमा रहे लाखों, मुनाफा होगा पाँच गुना

फ्रेंच बीन्स नामक फलीदार सब्जी ने न्यूट्रिएंट्स के कारण कई रेसिपी में इसका इस्तेमाल किया है। इसे बनाना जितना आसान है, उतना ही आसानी से इसे उगाना भी है।
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Farmers are earning lakhs from this farming at low cost, profit will be five times

The Chopal - फ्रेंच बीन्स नामक फलीदार सब्जी ने न्यूट्रिएंट्स के कारण कई रेसिपी में इसका इस्तेमाल किया है। इसे बनाना जितना आसान है, उतना ही आसानी से इसे उगाना भी है। टेरिस गार्डन में फ्रेंचबीन उगा सकते हैं अगर आप भी गार्डनिंग करते हैं। फ्रेंच बीन्स बहुत जगह नहीं चाहते, लेकिन खाद और पानी की सही व्यवस्था के साथ आसानी से गमले या ग्रो बैग में उगा सकते हैं।

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अमरोहा के गजरौला में किसान इस सब्जी को एक बार खर्च करके 5 बार मुनाफा कमा रहे हैं। इस फली को हर वर्ष गंगा किनारे के कई गांवों के किसान उगाते हैं। इससे कृषि क्षेत्र का वर्चस्व भी बढ़ रहा है। ब्रजघाट क्षेत्र में गंगा किनारे पर बसे कई गांवों में, जैसे कांकाठेर, मोहम्मदबाद, खुगावली, ओसीता जगदेपुर, ख्यालीपुर धोरिया बिडला, कुदैना, कुदैना चक, खडगपुर और ओसीता जगदेपुर, हर वर्ष फ्रेंच बीन्स की फली की खेती में रुचि बढ़ी है। यहां बहुत से किसान इसी फली को बोते हैं।

एक बार की लागत से 5 बार लाभ 

इस फसल का बीज हापुड, मेरठ और मुजफ्फरनगर में मिलता है। किसी ने कहा कि इस फसल को पांच बीधा जमीन में पांच महीने में तैयार करने में लगभग 70 हजार रुपये का खर्च आता है, जबकि बिकने पर तीन गुना तक फायदा मिलता है। विशेष बात यह है कि इस फली के पौधे से चार से पांच बार फली मिलती है। एक बार की लागत से पांच बार लाभ मिलता है। यही कारण है कि किसान इस फली की खेती करने की ओर बढ़ रहे हैं। अभी भी फसल लग चुकी है, जो जल्द ही तैयार होगी।

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फ्रेंच बीन्स कई राज्यों में उपलब्ध हैं

फ्रेंच बीन्स उत्पादन के बाद मुंबई, उत्तराखंड, नैनीताल, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में भी भेजा जाता है। किसान उमेश ने बताया कि यहां आसपास के कई गांवों से फ्रेंचबीन लेकर रोजाना दो से तीन कैंटर दिल्ली की मंडी में भेजा जाता है। वहाँ से दूसरे राज्यों में भी जाती है। 500 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर फसल की खेती गंगा किनारे के कई गांवों में होती है। अमरोहा जिला क्रषि अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि अधिकांश सब्जी की खेती होती है। फ्रेंच बीन की फली की खेती गंगा किनारे के कई गांवों में होती है। कुदेना गांव के एक ग्रामीण रमेश ने बताया कि खेती लगभग 30 वर्ष पहले शुरू हुई थी। इस फसल को पहले बहुत कम लोग जानते थे। लेकिन आज अधिकांश किसान इस तरफ बढ़ रहे हैं। मुज्जफरनगर में भी ये फसलें होती हैं। अभी भी बीज वहाँ से आता है।

इन बातों का खास ध्यान रखें

फ्रेंच बीन्स को सही मात्रा में खाद और पानी के साथ-साथ धूप भी चाहिए। इसलिए ग्रो बैग को इस स्थान पर रखें। जहां सीधी धूप छह से सात घंटे रहती है

फ्रेंच बीन्स की अच्छी पैदावार के लिए पौधे में 25 से 30 दिन बाद खुरपाई करें और कंपोस्ट की खाद डालें।

फ्रेंच बीन्स स्पष्ट रूप से एक बेलदार पौधा है, जिसकी बेलें तेजी से बढ़ती हैं।
फलियों को कीड़े नहीं लगेंगे, इसलिए जाली या दीवार के सहारे बेलों को बांधें, ताकि बेल जमीन से न छुए।

नीम के तेल को पानी में घोलकर बारिश के बाद पौधे पर छिड़कें, क्योंकि इससे गलन और बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

फ्रेंच बीन्स को कीड़े, कबूतर और चिड़ियों से बचाने के लिए पौधे को जाली से ढक दें।
फ्रेंच बीन्स की फलियां इस तरह कुछ दिनों में ग्रो करने लगती हैं, और तोड़ने के बाद 1 महीने में फिर से फलियां निकल आती हैं।