HELTH REPORT - राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल को लेकर डॉक्टर कर रहे इसका विरोध, आम जनता को होगा भारी नुकसान
THE CHOPAL (जयपुर) - राजस्थान की गहलोत सरकार प्रदेश ने 8 करोड़ से अधिक लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार देने के लिए कृत-संकल्पित है भी। इसके लिए गहलोत सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में इसी सत्र में पास कराने की सरकार की मंशा भी है। आप को बता दे की यह ऐसा कानून है जो न सिर्फ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पारदर्शिता लाएगा बल्कि जवाबदेही भी तय करता है और निशुल्क उपचार भी मुहैया कराएगा। आप को बता दे कि निजी अस्पताल बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर विरोध भी जता रहे हैं। बता दे की कांग्रेस सरकार जनता को उपचार का अधिकार देने के लिए यह बिल अब लागू करने जा रही है। बता दे की इस बिल को पिछले विधानसभा सत्र में भी पेश किया गया था, लेकिन विरोध की वजह से इसे टाल भी दिया गया था। एक बार फिर गहलोत सरकार इसे विधानसभा सत्र में पास कराने भी जा रही है।
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निजी अस्पतालों ने दिया 10 मार्च तक का वक्त -
राजस्थान की गहलोत सरकार इस चुनावी साल में उपचार के अधिकार से बहुत बड़ी सौगात देने के मूड में भी है। बता दे की सरकार की कोशिश पर निजी अस्पतालों के विरोध के चलते फिलहाल इस स्कीम पर पलीता लगा दिया और मरीजों को सरकारी योजनाओं का लाभ देना भी बंद कर दिया। पिछले कई दिनों से प्राइवेट डॉक्टरों के संगठनों की सीएम से मुलाकात के बाद प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों में बंद सरकारी योजनाओं को वापस अब शुरू भी कर दिया गया है। स्टेट ज्वाइंट एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ सुनील चुघ के अनुसार सीएम गहलोत से वार्ता के बाद कमेटी के सभी सदस्यों ने सरकारी योजनाओं को वापस शुरू करने को लेकर सहमति भी जाहिर की है। बता दे की अब निजी अस्पतालों में 10 MARCH तक सरकारी योजनाओं के बॉयकॉट को स्थगित भी कर दिया है। कमेटी 10 मार्च तक सरकार के रूख का इंतजार भी करेगी। बता दे की अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो फिर से निजी अस्पतालों की ओर से आंदोलन को तेज भी किया जाएगा।
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