Gangapar: नहरों में पानी ना आने से गेहूं की बुवाई हो रही लेट, प्राइवेट नलकूप से सिंचाई को मजबूर किसान
UP News : नहरों में पानी नहीं मिलने से खेतों में बोआई और पलेवा की प्रक्रिया बाधित हो रही है, जो किसानों को बहुत बड़ी समस्या बना रही है। बुआई से पहले खेत की मिट्टी को पर्याप्त नमी देना पलेवा है। यह फसलों के अच्छे उत्पादन और अंकुरण के लिए आवश्यक है।

Uttar Pradesh News : जब नहरों में पानी नहीं आता, तो किसान वैकल्पिक साधनों का सहारा लेते हैं, जैसे कि ट्यूबवेल या पंपसेट का उपयोग। हालांकि, ये विकल्प महंगे होते हैं और डीजल या बिजली पर निर्भर होते हैं, जिससे किसानों की लागत बढ़ जाती है। इसके अलावा, यदि समय पर पलेवा और बोआई नहीं हो पाती, तो फसलों की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खासतौर पर, रबी फसलों जैसे गेहूं, चना और सरसों की बुआई के लिए पलेवा आवश्यक है।
पानी की कमी खेतों की बोआई और पलेवा को बाधित
नहरों में पानी की कमी खेतों की बोआई और पलेवा को बाधित करती है। गेहूं बोआई के दौरान नहरों में पानी की जगह धूल बहती है। उरुवा विकास खंड क्षेत्र के बेलन नहर प्रखंड के ओनौर और सिकटी माइनरों में पिछले कई महीनों से पानी नहीं है। राजा पांडेय ने रामनगर के किसान जगदीश सिंह, हरिश्चंद्र शुक्ल, जगदीश सिंह, रतन कुमार सिंह, सिकटी गांव के किसान अभयराज सिंह, बसैनपुर के किसान जितेंद्र सिंह और हुल्का के किसान अखिलेश शुक्ल से कहा कि खेत पलेवा कर सरसों और गेहूं की फसल बोनी चाहिए थी, लेकिन नहर में अभी तक पानी नहीं आया है। प्राइवेट नलकूप से दूर खेत पलेवा और फसल की सिंचाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। नहरों में पानी न होने से किसानों को इस बढ़ती महंगाई में खाद और बीज खरीदने के साथ-साथ सिंचाई के लिए अलग से जेब ढीली करनी पड़ेगी, जो किसानों को बहुत मुश्किल बना रहा है।