The Chopal

भारत में 186 साल पहले खुला था होटल, जहां सिर्फ अंग्रेजों को मिलती थी एंट्री

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भारत में 186 साल पहले खुला था होटल, जहां सिर्फ अंग्रेजों को मिलती थी एंट्री 

The Chopal - घर से कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर में काम करने या फिर उस शहर में घूमने के लिए पहली चीज जो मन में आती है यह है कि आप किस होटल में ठहरेंगे। एक अच्छे होटल से आपकी यात्रा सुखद और यादगार होगी।

देश का सबसे पहला होटल 

देश का पहला होटल सेवॉय मसूरी में है। 1838 में बनाए गए इस होटल में पहले सिर्फ अंग्रेजों को प्रवेश मिलता था। यह होटल अपने अतीत का एक प्रतिष्ठित स्थान था, जो आज भी अपनी ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है।

ऐतिहासिक घटनाओं का साक्ष्य

1920 में होटल में अफगान कांफ्रेंस ने इसे ऐतिहासिक घोषित किया। नेपाल के शमशेर जंग बहादुर और कपूरथला के महाराज जगजीत सिंह ने इस दौरान इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा की।  

शुरू में कोई भारतीय नहीं

सेवॉय होटल मसूरी की शान थी जब अंग्रेजों ने मसूरी को गर्मियों की राजधानी बनाया। शुरू में भारतीयों को यहां प्रवेश नहीं दिया गया था, लेकिन बाद में यह निर्णय बदल गया।  

शाही मेहमानों का आगमन

1906 में क्वीन मैरी के दौरे पर होटल ने शाही मेहमाननवाजी की। उन्होंने क्राइस्ट चर्च के पास भी एक पेड़ लगाया, जो आज भी उनकी यात्रा का स्मारक है।

1907 में बिजली से प्रकाशित

1905 का कांगड़ा भूकंप होटल को नुकसान पहुँचाया। मरम्मत के बाद 1907 में फिर से खोला गया। 1907 में यहां पहली बार बिजली दी गई। इस ऐतिहासिक होटल में पहले बॉलरूम और डाइनिंग रूम के झूमर मोमबत्तियों से प्रकाश था। और स्प्रिट लैंप आम है। 

बॉलरूम और ऑर्केस्ट्रा में बदलाव

युद्ध के बाद होटल में बॉलरूम और ऑर्केस्ट्रा था। यह वाल्ट्ज, टैंगो और फॉक्स-ट्रॉट जैसे डांस स्टाइलों से सांस्कृतिक केंद्र बन गया।  

राजनेताओं और प्रसिद्ध लोगों की पसंद

होटल ने मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रसिद्ध लोगों की मेजबानी की। ईरान के शाह और पंचम दलाई लामा भी यहाँ की मेहमाननवाजी का आनंद ले चुके हैं। 

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र

सेवॉय पार्टीओं और जैज संगीत के साथ-साथ ब्यूटी कॉन्टेस्ट और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का स्थान भी था, जो इसे और खास बनाता था। 

सेवॉय: सागा ऑफ एन आइकन पुस्तक

"सेवॉय: सागा ऑफ एन आइकन", होटल के गौरवशाली इतिहास पर आधारित डॉक्यूमेंट्री, दादा साहेब फाल्के बेस्ट डॉक्यूमेंट्री और बेस्ट सिनेमेटोग्राफी अवॉर्ड जीत चुकी है। यह किशोर काया के निर्देशन में बनाया गया है, जिसमें गणेश शैली, एक प्रसिद्ध लेखक, ने एंकरिंग की है। 

Disclaimer: लेख में दी गई जानकारी आम स्रोतों से ली गई है। इसकी प्रामाणिकता हमारी नहीं है।

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