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IMD Weather: मानसून को लेकर आईएमडी की नई भविष्यवाणी, 4 महीने 105 प्रतिशत बारिश होगी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) की तरफ से देश भर में मानसून की बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी कर दिया गया है. आईएमडी ने मानसून की बारिश को लेकर भविष्यवाणी की है जिससे  सभी राज्यों के लोगों को राहत मिलेगी.
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IMD Weather: मानसून को लेकर आईएमडी की नई भविष्यवाणी, 4 महीने 105 प्रतिशत बारिश होगी

Monsoon 2025: भारत में हर साल मानसून पहुंचने और उसकी कितनी बारिश होगी इसको लेकर भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जारी कर दिया है. मौसम विभाग ( IMD ) ने कहा है की भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून आने पहले या उस दौरान अल नीनो स्थितियां विकसित होने की संभावना न के बराबर है. जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में औसत से ज्यादा 105 फीसदी ज्यादा मानसूनी बारिश होगी. मानसूनी बारिश कम होने के पीछे कई बार अल नीनो स्थिति जिम्मेदार होती है. जिसके चलते देश के ज्यादातर राज्यों में कम बारिश होने का डर बना रहता है. भारत में खेती मानसून पर निर्भर करती है.

मानसून पर आईएमडी की ताज़ा भविष्यवाणी

आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि भारत में जून से सितंबर 4 महीनों के दौरान मानसून की सामान्य से ज्यादा बारिश होगी. मानसूनी बारिश लॉन्ग पीरियड एवरेज न्यूनतम 105 प्रतिशत रहने की संभावना है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बार अल नीनो स्थितियां ना विकसित होने का अनुमान है जिससे बारिश ज्यादा होगी. अल नीनो एक वैश्विक घटना है जिसका असर दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पर पड़ता है और कम बारिश होती है. समुद्री सतह का तापमान बढ़ जाने के बाद दुनिया भर के कई इलाकों का मौसमी सिस्टम बिगड़ जाता है.

52% जमीन मानसून पर निर्भर

भारत में खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 52% जमीन मानसून की बारिश पर निर्भर करती है. साथ ही जलाशयों को भरने और उसे बिजली उत्पादन करने के लिए मानसून का महत्वपूर्ण स्थान है. मानसून की बारिश के कारण ज्यादातर भरे हुए तालाबों का पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मौसम विभाग द्वारा सामान्य से ज्यादा बारिश होने की भविष्यवाणी देशभर के सभी राज्यों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है. 

जलवायु परिवर्तन के चलते वैज्ञानिकों का मानना है कि बारिश होने वाले दिनों की संख्या में कमी आ रही है. जबकि इसके उलट थोड़े समय में भारी बारिश होने की घटनाएं ज्यादा बढ़ रही है. जिसके चलते कई इलाकों में सुखा रहने और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. क्लाइमेट चेंज होने के चलते इस तरह की घटनाओं में हर साल बढ़ोतरी हो रही है.