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Weather News: देश का मौसम विभाग इस तरह से जारी करता है बारिश का अनुमान, जानें

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मौसम विभाग इस तरह से जारी करता है बारिश का अनुमान

THE CHOPAL (New Delhi) : आपके शहर में आने वाले 2 दिनों में बरसात होगी, ओले गिरेंगे, ठंड होगी या पारा चढ़ने से गर्मी और बढ़ जाएगी. आज के वक्त में ये पता करने में आपको 2 मिनट लगते हैं क्‍योंकि आने वाले दिनों में मौसम के हाल को लेकर मौसम विभाग पहले से ही भविष्‍यवाणी कर देता है. ऐसे में लोग अपने प्रोग्राम भी मौसम के हिसाब से ही सेट कर लेते हैं. लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि मौसम को लेकर ये भविष्‍यवाणी कैसे की जाती है।  

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मौसम का पूर्वानुमान -

दरअसल मौसम के पूर्वानुमान के लिए कई फैक्‍टर्स जिम्‍मेदार होते हैं. इसके लिए तमाम यंत्रों की सहायता से वातावरण और जमीन की सतह का तापमान, नमी, हवा की गति और दिशा, ओस, बादलों की स्थिति आदि को देखा जाता है. इसके लिए कई तरह की मशीनों और उपकरणों का इस्‍तेमाल किया जाता है जैसे- बरसात के लिए वर्षामापी यंत्र, हवा की गति मापने के लिए एनीमोमीटर, हवा की दिशा के लिए विंडवेन, वाष्पीकरण की दर को मापने के लिए पेन-इवेपोरीमीटर, सनसाइन रिकॉर्डर, ओस के लिए ड्यूगेज, जमीन का तापमान नापने के लिए थर्मामीटर आदि का प्रयोग किया जाता है. मौसम का डेटा जुटाने में हाई-स्पीड कंप्यूटर, मौसम संबंधी उपग्रह, एयर बैलून और मौसम रडार भी अहम भूमिका निभाते हैं. इसके बाद जुटाए गए डेटा का अध्‍ययन किया जाता है, साथ ही वर्तमान डेटा और मौसम के पिछले डेटा को भी देखा जाता है. इसके बाद मौसम की भविष्यवाणी की जाती है. 

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गर्मी -

मौसम विभाग के पास कई तरह के सेटेलाइट मौजूद होते हैं जो बादलों की तस्‍वीर देते रहते हैं. इससे मौसम विभाग के लोगों को ये अनुमान लगता रहता है कि कहां बादल हैं और कहां नहीं हैं. हालांकि बादलों को देखकर केवल इतना अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस जगह धूप निकलेगी और किस जगह बादल छाए रहने का अनुमान है. बरसात का पता इससे नहीं चलता. बरसात का अनुमान लगाने के लिए ये देखना पड़ता है कि बादलों में कितना पानी है. इसके लिए धरती से आकाश की ओर रडार छोड़ी जाती है. रडार के जरिए भेजी गई तरंगें बादलों से टकरा कर वापस आती हैं और उसके बाद उनका अध्‍ययन किया जाता है. इसके बाद मौसम विभाग ये भविष्‍यवाणी करता है कि कहां बरसात हो सकती है.

बरसात हुई -

किसी जगह पर बरसात हो तो मौसम विभाग ये भी बता देता है कि बरसात कितने MM हुई. बरसात को मापने का तरीका बेहद साधारण है. दरअसल मौसम विभाग के पास एक बाल्‍टीनुमा कीप होती है, जो ऐसी जगह पर रखी जाती है, जहां न कोई बड़ी इमारत हो और न ही कोई पेड़ हो. यानी जब पानी गिरे तो वो कीप अच्‍छी तरह से भर सके. इस कीप में MM में नंबर लिखे होते हैं. बरसात रुकने के बाद इन नंबर्स को देख लिया जाता है और इसके आधार पर मौसम विभाग ये जारी करता है कि किस जगह कितने MM बरसात हुई.

पूर्वानुमान -

मौसम विभाग 4 तरह की भविष्‍यवाणियां करता है. पहला तात्‍कालिक जो अगले 24 घंटे के लिए होता है, दूसरा अल्‍प अवधि जो 1 से 3 दिनों के लिए होता है, तीसरा मध्‍यम अवधि जो 4 से 10 दिनों के लिए होता है और चौथा विस्‍तृत अवधि जो 10 से ज्‍यादा दिनों के लिए होता है. इनमें से मध्‍यम अवधि वाली भविष्‍यवाणियों को ज्‍यादातर सही होते देखा जाता है.