UP में 2 जिलों के बीच 260 किलोमीटर हाईवे बनेगा फोरलेन, एक्सेस कंट्रोल्ड स्वरूप में होगा विकसित
UP News : उत्तर प्रदेश में यातायात का नक्शा रोड इंफ्रास्ट्रक्चर से बदला जा रहा है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरने वाली राजमार्ग को अब फोरलेन में तब्दील किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की पूरा होने के बाद भारी ट्रैफिक दबाव से होने वाली दुर्घटनाओं के अलावा जाम की समस्या में कमी आएगी। इस हाइवे के बन जाने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में चल रहे सड़क बुनियादी ढांचे (Road Infrastructure) के सुधार प्रयासों की ओर संकेत करता है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर कई प्रमुख राजमार्गों (Highways) को फोरलेन (4-लेन) में परिवर्तित करने का कार्य कर रही हैं, जिससे यातायात सुगम हो और सड़क दुर्घटनाएं कम होगी। अलीगढ़-बिजनौर फोरलेन हाईवे बनने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यातायात का नक्शा बदल जाएगा। गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ने के बाद प्रयागराज तक पहुँचना आसान होगा। इस परियोजना से बिजनौर, अलीगढ़ और मुरादाबाद दोनों के विकास को गति मिलेगी। NHAI ने डीपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह हाईवे पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा, जिससे आर्थिक विकास बढ़ेगा।
राजमार्ग को फोरलेन बनाने का काम शुरू
केंद्र सरकार ने अलीगढ़, मुरादाबाद और बिजनौर को जोड़ने वाले राजमार्ग को फोरलेन बनाने का काम शुरू किया है. यह उत्तर प्रदेश की बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने का एक और बड़ा कदम होगा। केंद्र के निर्देश पर, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इस परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाना शुरू कर दिया है। भी परामर्शदाता कंपनी चुनी गई है। इसने सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस राजमार्ग की चौड़ीकरण से पश्चिमी यूपी में वाहनों की आवाजाही का रुख बदल जाएगा।
अब हाईवे टू लेन है
अब हाईवे टू लेन है। दिन-प्रतिदिन इस पर भारी ट्रैफिक दबाव के कारण दुर्घटनाएं होती हैं और जाम की समस्या बनी रहती है। अब इसका विकास फोरलेन, ग्रेड-सेपरेटेड और एक्सेस-कंट्रोल्ड होगा। यह परियोजना क्षेत्र में औद्योगिक विकास और व्यावसायिक गतिविधियों को नई दिशा देगी, साथ ही स्थानीय लोगों को आराम से यात्रा करने देगी।
इनका विश्लेषण किया जा रहा है
NHAI द्वारा कराया जा रहा सर्वे बताता है कि फोरलेन निर्माण के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता होगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। सर्वे के दौरान मार्ग की चौड़ाई, ट्रैफिक भार, मौजूदा निर्माण, बाधाओं और विस्तार की संभावनाओं की सख्त जांच की जाती है। यह भी अध्ययन किया जा रहा है कि सड़क पर टोल टैक्स प्लाजा, पैदल सेतु, उपरिगामी पुल और व्यावसायिक क्षेत्र कहां-कहां बनाए जा सकते हैं।
मार्ग नई जमीन पर बनाया जाएगा।
260 किलोमीटर लंबी राजमार्ग को ग्रीन फील्ड बनाना इस परियोजना की एक विशिष्टता है। ग्रीन फील्ड परियोजना का लक्ष्य है कि सड़क नई जमीन पर बनाई जाएगी। इससे अनावश्यक व्यवधानों से बचाव होगा। मुरादाबाद से अलीगढ़ के माध्यम से यह सड़क बिजनौर तक पहुंचेगी और फिर गंगा एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ेगी। इसका सीधा लाभ पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी में सुधार होगा। मुरादाबाद से प्रयागराज भी आसानी से पहुँच जाएगा।
NHAI द्वारा कराए जा रहे इस सर्वे के बाद परामर्श एजेंसी एक व्यापक योजना बनाकर केंद्रीय वित्त समिति को सौंपेगी। समिति से स्वीकृति मिलने पर केंद्रीय परिवहन मंत्रालय इस परियोजना को धन देगा। वित्तीय मंजूरी मिलने के बाद निर्माण शुरू होगा। वर्तमान में सर्वे का कार्य चल रहा है, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की मुरादाबाद शाखा के परियोजना निदेशक अरविंद कुमार ने बताया। इससे पता चलेगा कि किन जगहों पर सड़क को चौड़ा किया जा सकता है।
विकास एक नया आयाम लेगा
फोरलेन बनाने की परियोजना के पूरा होने पर अलीगढ़-बिजनौर मार्ग स्थानीय यात्रियों को राहत देगा और दिल्ली, लखनऊ, प्रयागराज जैसे बड़े शहर के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा। साथ ही, यह फोरलेन राजमार्ग पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच एक प्रभावी आर्थिक गलियारे बन सकता है। यह परियोजना अभी सर्वे और डीपीआर के चरण में है, लेकिन वित्तीय स्वीकृति मिलते ही यह राज्य की सबसे महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं में से एक बन जाएगी।