UP में 5 नई इंडस्ट्रियल सिटी का यहां किया जाएगा निर्माण, 13 गांवों की जमीन अधिग्रहण से प्रोपर्टी रेट उछलेंगे

The Chopal : यूपी में एक्सप्रेसवे का जाल बिछाकर आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के साथ आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर फर्राटे से वाहन दौड़ रहे हैं। वहीं, गंगा एक्सप्रेसवे का काम तेजी के साथ चल रहा है। सरकार की मंशा है कि इन एक्सप्रेसवे के किनारे रोजगार के अवसर भी तैयार किए जाएं। यही कारण है कि औद्योगिक शहर बसाने की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास किया जा रहा है। जहां, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक कॉरिडोर बनाने का खाका तैयार कर लिया गया है। वहीं, अब आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे पांच इंडस्ट्रियल सिटी बसाने का प्लान बनाया गया है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे पांच इंडस्ट्रियल सिटी बनेंगी। सरल किसान वेबसाइट के हवाले से इनमें एकीकृत मैन्यूफैक्चरिंग कलस्टर, वेयरहाउस, कलस्टर और अन्य व्यवसायिक परियोजनाएं विकसित होंगी। एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित होने वाली यह सिटी फिरोजाबाद, आगरा, इटावा, कन्नौज और कानपुर में हैं। इनके लिए इन जिलों में आने वाली फतेहाबाद, शिकोहाबाद, सैफई, तिर्वा और बिल्हौर तहसील को चिन्हित किया है। फिलहाल, इनमें आने वाले 13 गांव अधिसूचित कर दिए गए हैं।
इन गावों को मिलेगा फायदा
इसके लिए औद्योगिक विकास विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आगरा -लखनऊ एक्सप्रेसवे के आगरा जिले की फतेहाबाद तहसील के अई, भलखोरा, जलालपुर गांव चिन्हित किए गए हैं। फिरोजबाद के शिकोहाबाद तहसील के धनपुरा, करनपुर, सुजावलपुर, फतेहपुर करखा, इटावा जिले के सैफई तहसील में हरदोई, शिवपुरी टिमरूआ गांव, कन्नौज के तिर्वा के अलीपुर अहाना ठठिया, कानपुर नगर के बिल्हौर के अरौल, बहरामपुर गांव भी अधिसूचित किए गए हैं।
इन एक्सप्रेसवे के किनारे संबंधित चिन्हित गांवों की जमीन अधिग्रहण का काम अगले महीने शुरू होगा। इससे पहले यूपीडा ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे इंडस्टियल सिटी बनाने के लिए गांव अधिसूचित किए थे, निनके लिए प्रक्रिया चल रही है।
500 हेक्टेयर तक जमीन होगी अधिग्रहण
फिलहाल, यूपीडा ने जमीन अधिग्रहण के लिए संबंधित जिलों के डीएम को निर्देशित किया है। उन्होंने इसके लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन सभी जिलों में 100 से 500 हेक्टेयर तक जमीन ली जाएगी। कोशिश होगी कि यह सारी जमीन एक स्थान पर ही हो। इससे निवेशकों को बड़ी परियोजनाएं विकसित करने में सहूलियत होगी।
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