The Chopal

Agriculture News: बिहार के इस धान की बीते तीन में दुगुना हुआ रकबा, जानिए इसकी खास बातें

मरचा धान की खेती से जुड़े मैनुद्दीन अंसारी का मानना है कि वह पिछले साल इस प्रजाति के धान की खेती जैविक पद्धति से किया जा रहा हैं, परंतु उपज में कोई अंतर नहीं आ रहा है.

   Follow Us On   follow Us on
The area of this paddy of Bihar has doubled in the last three years, know its special features.

The Chopal : अब कई और किसान मरचा धान (Marcha Rice) को अपने स्वाद और विशेष तरह की महक के लिए प्यार करते हैं। मैनाटांड़ प्रखंड में इस धान की फसल लगातार बढ़ रही है। कम लागत में अधिक आमदनी खेती का बड़ा कारण है।GII टैग मिलने के बाद पश्चिम चंपारण में मरचा धान की खेती अधिक हो गई है। जल्द ही अधिसूचना मिलेगी।आधिकारिक सूचना मिलने से ही इसकी खेती करने वाले किसान उत्साहित हैं। पिछले तीन वर्षों में इस धान की उत्पादकता लगभग डेढ़ गुना बढ़ी है।

75 एकड़ क्षेत्र में किसानों ने तीन वर्ष पहले मरचा धान की खेती की थी। अब यह 125 एकड़ का हो गया है।  यह छह की जगह बीस किसानों ने खेती की। मैनाटांड़ में इस धान का बहुत उत्पादन होता है। सिंगासनी के प्रगतिशील किसान व मरचा धान उत्पादक समूह के अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि आने वाले समय में मरचा धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या और अधिक होगी। खेती की लागत में कमी और अधिक आमदनी इसका मुख्य कारण हैं।

ये भी पढ़ें - UP के इन बिजली उपभोक्ताओं पर एक्शन शुरू, रात को भी नहीं सोने देगा विभाग 

जैविक मरचा धान की खेती: इस धान की खेती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह जैविक तरीके से खेला जाता है। मरचा धान की खेती करने वाले मैनुद्दीन अंसारी ने बताया कि पिछले वर्ष वह जैविक तरीके से इस प्रजाति का धान बो रहे थे, लेकिन उपज में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उनका कहना है कि इस धान की खेत में रासायनिक खाद का इस्तेमाल होने से अप्रत्याशित बढ़वार होगा, जो उत्पादन को प्रभावित करेगा। धान की रोपाई के समय किसान 10 प्रतिशत डीएपी का इस्तेमाल कर सकते हैं अगर वे चाहें।

पिछले वर्ष मरचा धान की खेती से जुड़े मैनाटांड़ सिंगासनी के किसान राघव प्रसाद कुश्वाहा ने बताया कि किसानों को कम लागत और अधिक आय मिलती है। शेष धान की तुलना में मरचा धान तीन गुना अधिक मूल्य पर बेचा जाता है। जसौली के हरक थारू, पिराड़ी, सकरौल, बहुअरवा, झझरी, पिपरपाती, बरवा, दिउलिया और सिसवा गांव के ईश्वर चंद्र प्रसाद, मैनुद्दीन अंसारी, चंद्रिका पटेल, मुनिलाल, वीरेन्द्र यादव ने बताया कि मरचा धान की खेती इस क्षेत्र के किसानों के लिए फायदेमंद है।

ये भी पढ़ें - UP Railway : लखनऊ से इन शहरों के बीच चलेगी नई वंदेभारत ट्रेन, जानें टाइमिंग और किराया