UP के इन जिलों से होकर गुजरेगा एक और एक्सप्रेस वे, राजधानी का सफर होगा चुटकियों में पूरा
UP News : उत्तर प्रदेश में लो लैंड यानी निम्न भूमि वाले क्षेत्रों में जहां सामान्य सड़कों का निर्माण चुनौतीपूर्ण था, वहां योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता से कई एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा कर दिखाया है। ये परियोजनाएं राज्य के विकास और संपर्क व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक हैं।
Uttar Pradesh News : योगी सरकार द्वारा लो लैंड क्षेत्रों में एक्सप्रेसवे का निर्माण केवल एक इंजीनियरिंग उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने उत्तर प्रदेश को कनेक्टिविटी और अधोसंरचना के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल कर दिया है। उत्तर प्रदेश को 2025 में एक और एक्सप्रेस वे मिलने वाला है। इस एक्सप्रेस वे से लखनऊ की दूरी कम समय में पूरी होने वाली हैं। इस एक्सप्रेस वे के बनने के बाद उत्तर प्रदेश के चार जिलों को इससे सीधा फायदा मिलने वाला हैं।
गोरखपुर-लखनऊ की दूरी 3:30 घंटे में होगी पूरी
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में लो भूमि के कारण एक्सप्रेसवे बनाए हैं, जहां सामान्य सड़क बनाना ही मुश्किल था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दृढ़ संकल्प भी यह एक्सप्रेसवे है। यह राजमार्ग गोरखपुर से आजमगढ़ के बीच चार जिलों से गुजरता है, लेकिन इसकी कनेक्टिविटी से राजधानी लखनऊ तक पहुँचना भी आसान होता है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे रोड इंफ्रास्ट्रक्चर का नाम है। वाहनों का आवागमन भी शुरू हो गया है जब इसका 98 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। इसके निर्माण से गोरखपुर-लखनऊ की दूरी 3:30 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
राज्य की सड़क कनेक्टिविटी होगी बेहतर
योगी सरकार ने राज्य की सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर लगातार काम किया है और नए साल में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे को आवागमन की पूरी सुविधा के साथ औपचारिक उद्घाटन करने की भी तैयारी में है। यह राजमार्ग गोरखपुर क्षेत्र को पूर्वांचल राजमार्ग से जोड़ता है, जो लखनऊ, आगरा और दिल्ली को त्वरित और सुगम यातायात कॉरिडोर बनाता है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है, जैतपुर बाईपास एनएच-27 से शुरू होकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर सालारपुर, जिला आजमगढ़ में समाप्त होता है। 91.35 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे की मरम्मत (भूमि अधिग्रहण पर खर्च समेत) 7283.28 करोड़ रुपये का खर्च होगा। गोरखपुर, अम्बेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ जिले इससे सीधे लाभ उठाए हैं।
98 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरे हुए हैं
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से अधिक संपर्क और बेहतर यात्रा अनुभव मिलेगा। यह भी संबंधित क्षेत्र के लोगों को एक दूसरे के पास लाने में मदद करेगा। 23 दिसंबर तक यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। मेन कैरिजवे में क्लियरिंग और ग्रबिंग का काम पूरी तरह से और मिट्टी का काम पूरी तरह से पूरा हुआ है। 337 संरचनाओं में से 343 एक्सप्रेसवे पर बन चुके हैं। अन्य का निर्माण तेजी से हो रहा है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण बहुत कठिन था। कारण यह है कि गोरखपुर जिले में जितनी भी दूरी इस एक्सप्रेसवे के दायरे में आती है, वह लो लैंड वाला है। यहां सामान्य सड़कें भी हर साल खराब होती थीं। ऐसे में एक्सप्रेसवे की मिट्टी भराई करना मुश्किल था। इसके बावजूद, सीएम योगी के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने इस चुनौती को भी सफलतापूर्वक हल किया है। अब जबकि एक्सप्रेसवे लगभग पूरी तरह से तैयार हो गया है और काफी वाहनों का आवागमन होने लगा है, अधिकारी अपने प्रयासों पर संतोष व्यक्त कर रहे हैं।
लखनऊ पहुंचने में सिर्फ साढ़े तीन घंटे लगेंगे
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से लखनऊ पहुंचने में लगभग साढ़े तीन घंटे लगेंगे। यह भी कनेक्टिविटी है, इसलिए लोग दिल्ली से आगरा तक की शानदार यात्रा का आनंद ले सकेंगे। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की स्थापना से गोरखपुर जिले का व्यापक विकास किया जा सकेगा। एक्सप्रेसवे के प्रवेश को नियंत्रित करने से समय बचेगा, ईंधन खर्च कम होगा और पर्यावरणीय प्रदूषण कम होगा।
लिंक एक्सप्रेसवे पर निर्मित औद्योगिक क्षेत्र
इस एक्सप्रेसवे से अच्छादित क्षेत्रों का सामाजिक और आर्थिक विकास होगा, जिससे कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों की आय बढ़ेगी। एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में, एक्सप्रेसवे से अच्छादित क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने में मदद करेगा। योगी सरकार भी एक्सप्रेसवे के दोनों ओर औद्योगिक कॉरिडोर बना रही है।