Supreme Court: बहू को इन अधिकारों से वंचित नहीं कर सकते ससुराल वाले, अहम फैसला आया सामने
Supreme Court: बहू को ससुराल में पारिवारिक और कानूनी अधिकार भी मिलते हैं। सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property) ने ससुराल में बहू के अधिकारों पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कहा कि ससुराल वाले बहू का यह अधिकार कभी नहीं छीन सकते हैं।

Wife's property : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट कहा है कि ससुराल पक्ष किसी भी बहू से उसका संयुक्त मकान में रहने का हक नहीं छीन सकता, चाहे वह घर उसकी हो या पति/सास-ससुर के नाम पर हो महिलाओं को कानून में कई तरह के अधिकार दिए गए हैं। बहू को ससुराल में पारिवारिक और कानूनी अधिकार भी मिलते हैं। सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property) ने ससुराल में बहू के अधिकारों पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कहा कि ससुराल वाले बहू का यह अधिकार कभी नहीं छीन सकते हैं। आइये देखें कि कोर्ट ने इस बारे में क्या कहा है।
ससुराल में एक महिला कई तरह की भूमिका निभाती है, लेकिन जब बात परिवार में महिलाओं के संपत्ति अधिकारों की आती है, तो मामला अलग होता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने ससुराल में बहू के अधिकारों पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि ससुराल वाले बहू को इस विशिष्ट अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में हाईकोर्ट की निर्णय को पूरी तरह से पलट दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सास ससुर और बहू के झगड़े से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इसमें कोर्ट ने कहा कि बहू से उसके ससुराल वाले साझे घर में रहने का हक नहीं छीन सकते। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की निर्णय को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी बहू को ससुराल के साझे घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता, वरिष्ठ नागरिक कानून के तहत त्वरित कार्रवाई की जरूरत है।
हाईकोर्ट ने बहू के खिलाफ निर्णय दिया था
एक महिला ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने महिला को ससुराल का साझा घर छोड़ने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि सास-ससुर की जगह बहू का आश्रय उसके पति का है। इससे पहले, बहू के सास ससुर ने वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 (Senior Citizens Act, 2007) के प्रावधानों के तहत गुहार लगाई थी। इसमें उनकी पुत्रवधू को बेंगलुरु में उनके घर से बाहर निकाला जाना चाहिए था।
बहू को साझे घर में रहने का पूरा अधिकार
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में कहा कि किसी बहू को ससुराल के साझे घर में रहने का अधिकार नहीं छीना जा सकता। न ही वरिष्ठ नागरिक कानून के तहत घर खाली कराने का आदेश पाने से बहू को घर में रहने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को बेसहारा न होने देना है। लेकिन इसके आधार पर बहू को घर में रहने के उसके अधिकार से किसी सूरत में वंचित नहीं किया जा सकता। बहू को ससुराल के साझे घर में रहने का पूरा अधिकार है।
सास ससुर की स्वअर्जित संपत्ति पर पत्नी का अधिकार
पति-पत्नी की स्वअर्जित संपत्ति, या स्वअर्जित संपत्ति, अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकती। इसमें सास-ससुर का निर्णय है कि इस संपत्ति (property knowledge) को किसे दें। पति-पत्नी की साझी संपत्ति का मामला अलग है।
पति की पैतृक संपत्ति में बहू का हक -
पति की ससुराल में पैतृक संपत्ति (ancestral property rights) है तो बहू को दो तरह से अधिकार मिल सकते हैं। पहली बात यह है कि अगर पति पत्नी को अपनी संपत्ति ट्रांसफर कर दे, तो उस पर बहू का अधिकार हो सकता है। दूसरा, पति मरने पर बहू को संपत्ति का अधिकार मिलता है। बहू सीधे तौर पर अपने ससुराल की संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं मांग सकती।