Breeder Bull : जानिए ब्रीडर सांड की देखभाल करने के टिप्स, देगा अच्छा मुनाफा
The Chopal, Tips For Breeder Bull : किसानो की आय को दुगना करने के लिए पशुओं की नस्ल, और गाय भैंस के दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्राकृतिक गर्भाधान का इस्तेमाल ज्यादा किया जा रहा है इसके लिए सीमन की सारी बात ब्रीडर सांड पर आधारित होती है वैसे दूध उत्पादन के बारे में बात की जाए तो भारत देश पहले स्थान पर है बहुत सारे बड़े-बड़े देश भारत से दूध उत्पादन के मामले में पीछे है, दूध उत्पादन का आंकड़ा इसीलिए सबसे अधिक है क्योंकि हमारे भारत देश में पशुओं की संख्या अधिक है, हालांकि दूसरे देशों में प्रत्येक पशु के दूध ज्यादा है, इसी कमी को नजरअंदाज करते हुए प्राकृतिक गर्भाधान को बढ़ावा दे रही है,
इसके लिए हर नस्ल के ब्रीडर सांड तैयार किए जा रहे हैं. खानपान और रहन-सहन से संबंधित एडवाइजरी जारी की जाती हैं. यहां तक की गाय-भैंस को प्राकृतिक तरीके से गाभिन कराने के लिए भी ब्रीडर सांड कैसा हो इसके लिए भी गाइड लाइन तैयार की गई है.
ये हैं सांड की देखभाल से जुड़े टिप्स
बाड़ा ऐसा हो जो सांड को सर्दी-गर्मी से बचाए.
प्राकृतिक गर्भाधान का स्थान बाड़े से दूर होना चाहिए.
सांड का बाड़ा आरामदायक और बड़ा हो, जहां से वो दूसरे पशुओ को भी देख सके.
प्राकृतिक गर्भाधान के लिये सांड की उम्र कम से कम ढाई साल और वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए.
कम उम्र के सांड को हफ्ते में दो या तीन बार ही ब्रीडिंग के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.
भैंस पर सांड को केवल एक बार ही कुदाना चाहिए.
सांड को भैंस पर दो या तीन बार कुदाने की ना कोई जरूरत है और ना ही कोई फायदा.
एक भैंस को गाभिन करने के बाद दूसरी भैंस के बीच सांड को कम से कम एक दिन का आराम देना चाहिए.
गाय-भैंस को ब्रीडर सांड के पास ले जाने से पहले उसकी योनि को पानी या कपड़े से अच्छी तरह साफ करना चाहिए.
सांड को संगम कराने से पहले उसे मैथुन के लिए उत्तेजित करना जरूरी होता है. इसके लिऐ सांड को दो-तीन बार भैंस के ऊपर कुदाऐ और तुरंत हटा ले, ताकि संगम न हो सके. इसके बाद ही झोटे और भैस का वास्तविक मिलन कराएं.
अगर सांड सुस्त है तो भैस दिखाने के बाद उसे दूर ले जाए.
आसपास ही थोड़ा घुमाने के बाद उसे भैंस पर कुदाएं.
भैंस के पास कोई दूसरा सांड बांधने से भी दूसरे सांड को उत्तेजना मिलती है.
भैस पर कुदाते समय सांड के साथ सख्त व्यवहार नहीं करना चाहिए.
ब्रीडर सांड का भैंस से संगम कराने के दौरान उसके साथ मारपीट नहीं करनी चाहिए.
सांड को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा कसरत करानी चाहिए.
सांड की हर रोज मालिश करने के बाद उसे नहलाना चाहिए.
हर छह महीने के बाद सांड के खून की जांच करा लेनी चाहिए.
समय-सयम पर सांड में ब्रुसेलोसिस समेत दूसरे यौन रोग जांच करानी चाहिए.
चार्ट के मुताबिक सांड का टीकाकरण कराते रहना चाहिए.
एकसपर्ट द्वारा बताई गई डाइट ही सांड को देनी चाहिए.
खूंखार सांड से किसान की सुरक्षा का इंतजाम बाड़े में जरूर रखें.