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Business Idea: अब बिना मिट्टी के एक एकड़ में मिलेगी 100 एकड़ के बराबर फसल, अपनाएं यह तकनीक

Business Idea: वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं, तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर मिलती है। इसके खेती गाव और शहरी हिस्सों में भी इस तकनीक की मदद से खेती की जा सकती है। इसमें किसानों को मिट्टी-पानी और मौसम पर नहीं रहना पड़ेगा. 

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Business Idea: Now without soil, one acre will yield crop equal to 100 acres, adopt this technique

Business Idea: मौजूदा दौर में जिस तरीके से आबादी में बढ़ोतरी हो रही है। इससे खेती का आकार सिकुड़ चुका है। ऐसे में अब वो दिन दूर नहीं रह गए हैं। जब सभी फल और सब्जियां खेतों के बजाय फैक्ट्रियों में उगाई जाने लगेंगी। इजराइल ने एक नई तकनीक के जरिए खेती करनी शुरू कर दी है। इसका नाम वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) होता है। अब भारत में भी इस तकनीक के द्वारा खेती शुरू हो चुकी है। 

यह वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी तकनीक है। जिसमें अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं, तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर उत्पादन लिया जा सकता है। यानी एक एकड़ में ही जो आपको एरिया मिलता है। उसमें 100 एकड़ के बराबर एरिया मिल जाता है। कुल मिलाकर इस तकनीक में फसल को उगाने के लिए जमीन की जरूरत नहीं है।

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वर्टिकल फार्मिंग के लिए एक बड़ा सेट बनाना होता है। जिसका तापमान 12 से 26 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है। फिर इसमें करीब 2-3 फुट के लंबे और चौडे कंटेनर्स में वर्टिकल तरीके से पाइप सेट कर दिया जाता है। इसमें ऊपर का हिस्सा खुला रखा जाता है। जिसमें हल्दी की खेती होती है। वैसे तो वर्टिकल फार्मिंग अधिकतर लोग हाइड्रोपोनिक या एक्वापोनिक तरीके से करते हैं। जिसे जमीन पर नहीं किया जाता है। लेकिन इसमें मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। तापमान को कंट्रोल करने के लिए फॉगर्स लगाए जाते हैं, जो तापमान बढ़ते ही पानी का फुहारा बरसाने लगते हैं और तापमान सामान्य हो जाता है। 

अगर वर्टिकल फार्मिंग के जरिए हल्दी उगाना हो तो 10-10 सेमी की दूरी पर जिग-जैग तरीके से हल्दी के बीज बोए जाते हैं। जैसे-जैसे हल्दी बढ़ती जाती है। इसके पत्ते किनारे की जगह से बाहर की तरफ निकल जाते हैं। हल्दी को अधिक धूप की जरूरत नहीं होती और यह छाया में भी अच्छी पैदावार होती है। ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक से हल्दी का बहुत अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। 9 महीने में हल्दी की फसल तैयार हो जाती है। हार्वेस्टिंग के तुरंत बाद दोबारा हल्दी लगाई जा सकती है। यानी 3 साल में 4 बार हल्दी की फसल की जा सकती है। 

इसमें खेती करने के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना होता है। यानी आप जब चाहे तब खेती कर सकते हैं। यह खेती पूरी तरह से बंद जगह में होती है। ऐसे में कीट-पतंगों से नुकसान या बारिश या आंधी-तूफान से नुकसान की आशंका भी नहीं रहती है। बशर्ते आपके शेड को कोई नुकसान ना पहुंचे। इस तरह की खेती में सिंचाई में पानी की भी खूब बचत होती है। हालांकि, फॉगर्स में पानी खर्च होता ही है।

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