CIBIL Score: कम सिबिल स्कोर वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, हाईकोर्ट ने लोगों को राहत देते हुए बैंकों को लगाई फटकार
CIBIL Score : रोजाना करोड़ों लोग बैंक से लेन देन करते हैं। बैंक करोड़ों लोगों को कर्ज देते हैं। उस कर्ज की ईएमआई (EMI) बन जाती है, जिसे हम चुकाते रहते हैं। कई बार भुगतान नहीं कर पाते। बैंक में खाताधारक (account holder) का रिकॉर्ड हर लेन-देन और कर्ज से बनाया जाता है। इसे CIBIL स्कोर कहते हैं। बैंक खाताधारक का भविष्य का लाभ इसी पर निर्भर करता है। अब हाई कोर्ट ने इस पर बड़ा फैसला दिया है।

The Chopal : जब कोई व्यक्ति बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन (जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, या क्रेडिट कार्ड) के लिए आवेदन करता है, तो बैंक उस व्यक्ति का सिबिल स्कोर (CIBIL Score) जांचता है। यह स्कोर आपकी वित्तीय साख (creditworthiness) को दर्शाता है और यह तय करता है कि आप लोन चुकाने में कितने सक्षम और भरोसेमंद हैं। जब हम बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन करते हैं, बैंक अक्सर हमारा सिबिल स्कोर देखता है। बैंक इसके आधार पर ही लोन देता है। बैंक आवेदन को खारिज कर देता है अगर सिबिल स्कोर कम है। लेकिन अब हाईकोर्ट ने ऐसा निर्णय लिया है जो हजारों आवेदकों को फायदा होगा। केरल हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है।
शिक्षा हर किसी का अधिकार
शिक्षा हर किसी का अधिकार है, लेकिन कई बार अच्छी पढ़ाई करने के लिए धन की कमी होती है। पैसे की कमी से युवा अच्छी पढ़ाई नहीं कर पाता। सरकार लगातार पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए नियम बनाती है। वहीं बैंक भी विद्यार्थियों को शिक्षण के लिए कर्ज देते हैं। यही कारण है कि युवा लोगों को सिबिल स्कोर का प्रश्न उठता है। हाईकोर्ट ने इसमें महत्वपूर्ण सुधार किया है।
लोन पर CIBIL स्कोर पर निर्णय अधिक महत्वपूर्ण है
केरल हाईकोर्ट ने एजुकेशन लोन को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई में कहा कि कम CIBIL स्कोर वाले एजुकेशन लोन के आवेदन को रिजेक्ट नहीं किया जा सकता है।
बैंकों को लगाई गई सजा
केरल हाईकोर्ट ने कम CIBIL स्कोर पर एजुकेशन लोन न देने पर बैंकों को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने इस आधार पर किसी बच्चे को एजुकेशन लोन के लिए रिजेक्ट नहीं किया जा सकता था। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने बैंकों से कहा है कि वे एजुकेशन लोन के आवेदनों पर मानवीय दृष्टिकोण से विचार करें।
छात्र की जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
केरल हाईकोर्ट ने एक विद्यार्थी की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि विद्यार्थी कल के राष्ट्र निर्माता हैं। इनको ही भविष्य में देश का नेतृत्व करना है। केवल मात्र सिबिल स्कोर कम होने पर एजुकेशन लोन अस्वीकार (Education loan rejected) नहीं किया जाना चाहिए।
इस मामले में आया कोर्ट का फैसला
पीआईएल लगाने वाले छात्र ने दो लोन लिए थे। इस लोन में एक में 16667 का बचा हुआ था। दूसरे लोन को बैंकों ने ओवरड्यू (EMI overdue) में डाल दिया गया था। इस वजह से पीआईएल लगाने वाले का सिबिल स्कोर (CIBIL score) कम था। याचिका लगाने वाले ने हाईकोर्ट में अपील की थी कि अगर उसे तुरंत राशि नहीं मिली तो वह मुश्किल में पड़ जाएगा। इसपर हाईकोर्ट ने ये विद्यार्थियों के हित मे बड़ा फैसला सुनाया है।