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Circle Rate: सर्किल रेट और मार्किट रेट में क्या कितना फर्क है, दूर हो जाएगी सारी कन्फ्यूजन

Circle Rate: टैक्स चोरी को रोकने के लिए सर्किल रेट, प्रशासन द्वारा निर्धारित प्रॉपर्टी की न्यूनतम कीमत है। सर्किल रेट (या गाइडलाइन वैल्यू) सरकार द्वारा तय किया गया वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर किसी जमीन या संपत्ति का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। जब भी प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने की बात आती है या सरकार की तरफ से जमीन अधिग्रहण किया जाता है तो अक्सर एक शब्द सर्किल रेट आम का सुनने को मिलता है।

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Circle Rate: सर्किल रेट और मार्किट रेट में क्या कितना फर्क है, दूर हो जाएगी सारी कन्फ्यूजन

The Chopal : जब भी प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने या सरकारी जमीन अधिग्रहण की बात होती है, तो सर्किल रेट एक बहुत अहम शब्द बन जाता है। सर्किल रेट एक शब्द है जिसे अक्सर सुनते हैं जब आप किसी क्षेत्र में संपत्ति खरीदने या बेचने की बात करते हैं। यह रेट प्रॉपर्टी की कमतम कीमत को प्रशासन द्वारा निर्धारित करता है। लेकिन मार्केट रेट इससे कहीं अधिक है। तो, सर्किल रेट क्या है और यह काम कैसे करता है?

टैक्स चोरी को रोकना

सर्किल रेट का मुख्य उद्देश्य टैक्स चोरी को रोकना है। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क हर बार जब कोई संपत्ति खरीदी या बेची जाती है। सर्किल रेट निर्धारित न होने पर विक्रेता और खरीदार कीमत को कम दिखाकर टैक्स बच सकते हैं। सर्किल रेट सुनिश्चित करता है कि किसी संपत्ति की खरीद-फरोख्त निर्धारित न्यूनतम कीमत से कम नहीं होगी। अगर सर्किल रेट नहीं होगा, तो लोग जमीन की असली कीमत से बहुत कम कीमत दिखाकर रजिस्ट्रेशन कराएंगे, जिससे सरकार को भारी टैक्स नुकसान होगा।

उदाहरण से समझे 

मान लीजिए, किसी व्यक्ति ने 5,000 वर्ग फीट की जमीन 1,500 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से खरीदी, जिसके मूल्य 75 लाख रुपये था। विक्रेता और खरीदार प्रॉपर्टी की कीमत को कम दिखाकर टैक्स बचा सकते हैं अगर इलाके में सर्किल रेट निर्धारित नहीं है। इससे स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस से सरकार को मिलने वाले राजस्व में कमी आती है। इस तरह की टैक्स चोरी को रोकने का एक कारगर उपाय है सर्किल रेट हैं।

सर्किल रेट और मार्केट रेट

जबकि मार्केट रेट वह है जिस पर संपत्ति का असली सौदा होता है, सर्किल रेट प्रशासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम कीमत है। मार्केट रेट इलाके की मांग, प्रॉपर्टी की स्थिति और सुविधाओं पर निर्भर करता है। अमूमन मार्केट रेट, सर्किल रेट से काफी ज्यादा होता है. उदाहरण के तौर पर, मुंबई के तारदेव और वर्ली क्षेत्रों में जमीन की औसत कीमतें 56,000 रुपये प्रति वर्ग फीट से 41,000 रुपये तक थीं, जो सर्किल रेट से कहीं अधिक हैं।

सर्किल दरों का असर

सर्किल रेट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह टैक्स चोरी को रोकता है और प्रॉपर्टी लेन-देन को पारदर्शी बनाता है। वहीं, विक्रेताओं और खरीदारों को सर्किल रेट से कम पर सौदा नहीं करना चाहिए। सर्किल रेट और मार्केट रेट में अंतर प्रशासनिक आय और संपत्ति बाजार की स्थिति को प्रभावित करता है। इसलिए संपत्ति खरीदते समय इन दोनों रेट्स को समझना महत्वपूर्ण है।

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