Daughter Property Rights : तलाकशुदा बेटी को बाप की प्रॉपर्टी में मिलेगा कितना हिस्सा, हाईकोर्ट ने दिया जवाब
Daughter Property Rights : वैसे तो भारत में बेटियों के हक में कई कानून हैं, लेकिन जानकारी की कमी से बेटियां अपनी आवाज नहीं उठा पाती हैं और अपना हक पाने से बच जाती हैं। ऐसे में आज हम आपको हाईकोर्ट की उस निर्णय के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें क्लीयर को बताया गया है कि तलाकशुदा बेटी का पिता की संपत्ति में कितना हिस्सा होगा।

The Chopal, Daughter Property Rights : देश भर में प्रोपर्टी को लेकर कई कानून बनाए गए हैं। जो बहुत कम लोग जानते हैं गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया कि अविवाहित या विधवा बेटी अपने मृत पिता की संपत्ति में हकदार है, लेकिन तलाकशुदा बेटी पर नहीं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह तर्क दिया कि तलाकशुदा बेटी पिता पर निर्भर नहीं है क्योंकि तलाकशुदा बेटी अपने पति की देखभाल या भरण-पोषण पर निर्भर रहती है। वह पूरे हक के साथ गुजारा भत्ता की मांग करने के लिए कानून का सहारा ले सकती है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने पारिवारिक अदालत के निर्णय को चुनौती दी थी। दिल्ली की पारिवारिक अदालत ने महिला को उसकी मां और भाई से भरण-पोषण का खर्च देने की मांग खारिज कर दी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अविवाहित या विधवा बेटी के पास अपने परिवार से गुजाराभत्ता और संपत्ति में हिस्सा लेकर जीवन यापन करने का कोई दूसरा तरीका नहीं है। लेकिन तलाकशुदा बेटी को अपने पति से गुजारा भत्ता मिलना चाहिए।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 के तहत भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है, जो भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।
मृत पिता की संपत्ति पर किसका दावा
हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि इस अधिनियम की धारा 21 में रिश्तेदारों की नौ श्रेणियों को भरण-पोषण का अधिकार दिया गया है।
यह तलाकशुदा बेटी का उल्लेख नहीं करता। याचिकाकर्ता महिला के पिता का 1999 में निधन हो गया था। तलाकशुदा महिला के परिवार में अभी दो बहनें और एक भाई हैं। कोर्ट में महिला ने कहा कि कानूनी वारिस के रूप में उसे अपने मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया गया है।
Delhi High Court का निर्णय
महिला का दावा है कि उसकी मां और भाई ने उसे प्रति महीने 45 हजार रुपये देने का वायदा किया था कि वह संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं मांगेगी। महिला ने आगे कहा कि नवंबर 2014 तक उसे मां और भाई ने नियमित रूप से भोजन दिया। सितंबर 2001 में पति ने एकतरफा तलाक दे दिया। अदालत में महिला ने कहा कि वह कोई गुजारा भत्ता नहीं ले पाई क्योंकि उसके पति के बारे में उसे पता नहीं था।
Delhi High Court News ने महिला की याचिका पर कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 को बदला नहीं जा सकता, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। यही कारण है कि आप अपने पति से गुजारा भत्ता लाने के लिए कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं।
न्यायाधीशों के निर्णय देश की अदालतों में आने वाले दिनों के लिए नजीर बनते हैं। लेकिन कुछ निर्णयों के बाद उस पर भी बहस होती है। ऐसे में क्या दिल्ली उच्च न्यायालय की इस निर्णय पर भी बहस शुरू हो सकती है?