Divorce Act : तलाक होने पर पत्नी को कितना पैसा देता है पति, क्या कहता है कानून
Hindu Marriage Act :अब तक आपने सुना होगा कि तलाक के बाद पत्नी ही पति से गुजारा भत्ता मांगती है, लेकिन अधिकांश लोगों को नहीं लगता कि पति गुजारा भत्ता मांगेगा। बता दें कि इसके लिए कानून में खास प्रावधान किया गया है। पति के अलीमिया अधिकार भी पत्नी को देना होगा। यह लेकर कानून क्या कहता है जानें।

The Chopal, Hindu Marriage Act : पति-पत्नी का रिश्ता इतना मजबूत होता है कि छोटी सी बहस भी तलाक (Divorce Act) का कारण बन सकती है। पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आने के बाद कभी भी तलाक की नौबत आ सकती है। तलाक के बाद पत्नी अक्सर अपने पति से गुजारा भत्ता मांगती है, लेकिन कानून के अनुसार पति को भी गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है, यानी पत्नी का गुजारा भत्ता। इसके लिए कोर्ट मामले की हालत को देखते हुए फैसला करता है। तलाक के बाद पति से गुजारा भत्ता मांगे जाने को लेकर कानूनी प्रावधानों को जानिए।
हिंदू शादी कानून:
हिंदू मैरिज एक्ट में गुजारे के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं। धारा 9 इस कानून में पति-पत्नी में फिर से सुलह कराने का प्रावधान करता है। यह प्रणाली 'रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स' (RCR) के अधीन है। पति-पत्नी में से कोई एक साथ रहने के लिए कोर्ट में गुहार लगा सकता है जब उनके अलगाव की कोई स्पष्ट वजह नहीं होती। कोर्ट का आदेश न मानने की स्थिति में, दोनों में से कोई भी तलाक के कानूनों के अनुसार तलाक की मांग कर सकता है। इसके बाद ही न्यायालय तलाक की आगे की कार्रवाई शुरू करता है।
आप खोज के लिए आवेदन कब कर सकते हैं:
कानून में तलाक के लिए कई प्रावधान हैं। पूरी स्थिति को समझते हुए, ये स्थिति अनुसार लागू होते हैं। अगर शादी के बाद पति या पत्नी एक तलाक लेना चाहते हैं, तो इसके लिए कोई समय सीमा नहीं है।
वह अगले दिन अपील कर सकता है। लेकिन RCR प्रक्रिया का समय समाप्त होने के लगभग एक साल बाद ही दोनों पक्षों को तलाक के लिए आवेदन किया जा सकता है। ऐसे मामलों में कोर्ट समझौता करने के लिए समय लेती है। Hindi Marriage Act की धारा 9 के अनुसार, अदालत पति-पत्नी की पूरी संपत्ति का आकलन कर सकती है अगर गुजारे भत्ते की मांग की बात है। इसके बाद फैसला सुनाया जाता है, लेकिन कोर्ट ही अंतिम निर्णय लेता है।
धारा-25 में प्रावधान है:
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 भरण पोषण भत्ता और गुजारा भत्ता से जुटी है। इस खंड में पति-पत्नी दोनों को विविध अधिकार दिए गए हैं। इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं। पति भरण पोषण भत्ते या गुजारे भत्ते की मांग नहीं कर सकता अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई है। इस मामले में पत्नी ही मेंटिनेंस या एलिमनी अधिकारों की मांग कर सकती है।
पत्नी को धन कब देना चाहिए
तलाक के बाद, पुरुष भी अपने गुजारा भत्ते की मांग कर सकता है, जिसे गुजारा भत्ता कहा जाता है। यदि पति का अपनी पत्नी से रिश्ता खत्म हो जाता है और उसके पास कोई आजीविका नहीं है, तो वह कानूनन अपनी पत्नी से गुजारे भत्ते की मांग कर सकता है। इसलिए, यह स्थिति देखी जाती है कि पति की आय पत्नी की आय से अधिक होनी चाहिए। मुंबई में एक मामले में एक कपल ने 25 साल बाद तलाक लिया था। इसमें पति ने गुजारे भत्ते की मांग की थी, और पत्नी ने 10 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था।