Edible Oil : आम जनता को मिली बड़ी राहत, सस्ता हुआ खाने का तेल

The Chopal : फेस्टिव सीजन में आम आदमी को राहत मिली है। खाने के तेल की कीमतों में दरअसल गिरावट आई है। शुक्रवार को देश के तेल-तिलहन बाजारों में मूंगफली तेल-तिलहन को छोड़कर बाकी खाद्य तेल-तिलहन में गिरावट दर्ज हुई, क्योंकि विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच आयातकों द्वारा लागत के मुकाबले घाटे में बिकवाली हुई। कच्चा पामतेल (CPO), पामोलीन और बिनौला तेल, सोयाबीन और सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल की कीमतें कम होने लगीं। मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्व में बंद हो गए।
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व्यापारी सूत्रों ने कहा कि मलेशियाई एक्सचेंज में गिरावट हुई और शाम का कारोबार बंद है, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में 1% से अधिक का सुधार चल रहा है। उनका कहना था कि प्रमुख तेल संगठन एसईए ने ऑयलमील के निर्यात के आंकड़े जारी किए हैं, लेकिन नवंबर-दिसंबर में सोयाबीन डीगम (सॉफ्ट आयल) के लदान के आंकड़ों के संदर्भ में भी सरकार को अवगत कराना चाहिए, क्योंकि सोयाबीन डीगम का आयात इन महीनों में कम होने की उम्मीद है। भविष्य में डीगम तेल की मांग आम तौर पर बढ़ने की संभावना है। किसान अपनी कम उपज को बाजार में पहले से ही बिक्री के लिए ला रहे हैं। गौरतलब है कि इसी सोयाबीन डीगम तेल का गर्मियों में लगभग 4-4.5 लाख टन का आयात हो रहा था.
सूत्रों ने बताया कि दूसरी चिंता का विषय यह है कि आयातक बंदरगाहों पर अपनी लागत से कम दाम पर सोयाबीन डीगम तेल बेच रहे हैं, जो कहीं न कहीं आयातकों की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है। ऐसा उस देश में हो रहा है जहां आयात खाद्य तेलों की लगभग 55% की कमी पूरी करता है। यह सब किसी को जानना होगा।
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 17 नवंबर तक इस रबी मौसम में सरसों के खेती के रकबे में लगभग 1% और मूंगफली के खेती के रकबे में लगभग 21% की कमी हुई है। तिलहन उत्पादन की घटना चिंताजनक है क्योंकि इन तेलों का दूसरा विकल्प नहीं है। इससे देश की आयात पर बढ़ती निर्भरता स्पष्ट होती है। आज की परिस्थितियों में मूंगफली, सरसों और बिनौला जैसे तिलहनों की पेराई करने वालों को नुकसान होता है और किसी संबंधित विभाग को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए।