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सड़को पर किन्नू फेंकने को मजबूर किसान, अपनी उपज पर चलाया ट्रैक्टर

Kinnoo farming : दिल्ली जैसे महानगर में किन्नू का भाव 30-40 रुपये किलो चल रहा है. ठंड में चूंकि इसकी सप्लाई अधिक रहती है, इसलिए कुछ कम दाम पर इसकी बिक्री होती है. लेकिन 30-40 से नीचे इसका भाव कभी नहीं जाता बल्कि ऊपर ही होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि जो किसान इस फल को उगाते हैं, उन्हें क्या भाव मिलता है. 

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सड़को पर किन्नू फेंकने को मजबूर किसान, अपनी उपज पर चलाया ट्रैक्टर

The Chopal, Kinnoo farming : किन्नू के लिए मशहूर पंजाब के अबोहर क्षेत्र के किसान इस साल फल का सही भाव ना मिलने से परेशान हैं। इसे लेकर फाजिल्‍का में किसानों ने डीसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया और किन्नू से भरी ट्रॉलियां उलटकर रोष जताया। इस दौरान किसानों ने किन्नू सड़क पर फेंककर उसके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। आप अगर भाव जानेंगे तो चौंक जाएंगे. पंजाब के अबोहर से एक खबर आई है कि यहां कि किन्नू किसानों को अपनी उपज का पांच रुपये प्रति किलो के हिसाब से रेट मिल रहा था. इस रेट से उकताए किसानों ने गुस्से में पूरे बागान को काट दिया. घटना चौंकाने वाली

बोहर के कई बागवान किसान संगठनों के साथ डीसी कार्यालय पर विरोध करने निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में बैरिकेट्स लगाकर रोक लिया। किसान डीसी कार्यालय जाकर बातचीत करने पर अड़े रहे और धरने पर बैठ गये। देर शाम किसान डीसी कार्यालय के बाहर पहुंचे और किन्नू से भरी ट्रॉलियां पलटते हुए ट्रैक्टर चला दिया। इस विरोध-प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धपुर और भारती किसान यूनियन राजेवाल से जुड़े किसान शामिल थे। 

पांच रुपये प्रति किलो की दर से बेचने के लिए मजबूर किसान

किसान सतनाम ने कहा कि उन्होंने अपने 13 एकड़ के बगीचे को लगभग 15 वर्षों तक अपने बगीचे की तरह पाला है. इस सीजन में फसल की पैदावार अच्छी थी लेकिन उन्हें फल के लिए लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा था. उन्हें अपने बगीचे का फल मात्र 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचना पड़ा. स्थिति से परेशान होकर, उन्होंने अपने किन्नू के बगीचे को उखाड़ने का फैसला किया, जिसकी वास्तविक लागत भी नहीं निकल रही थी. 

किन्नू उत्पादकों पर ध्यान नहीं दे रही सरकार

किसान नेता गुणवंत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अबोहर के सबसे बड़े क्षेत्र - जिसका नाम 'कैलिफ़ोर्निया' है - में किन्नू उत्पादकों पर ध्यान नहीं दे रही है और कोई मार्केटिंग सुविधाएं नहीं दी गई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन के माध्यम से किन्नू फल की खरीद करनी चाहिए थी या स्थानीय एग्रो प्लांट में फल को प्रोसेसिंग करने की व्यवस्था की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया. प्रोसेसिंग की सुविधा नहीं होने से किसानों की उपज की बिक्री नहीं हो रही है.

उचित दाम नहीं मिलने से परेशान हैं किसान

देश में किसानों के साथ इस तरह की समस्या आजकल आम बात हो गई है. किसान पूरी मेहनत के साथ खेती करते हैं, फसल उगाते हैं. मगर जब बाजार में बेचने ले जाते हैं तो उन्हें सही दाम नहीं मिलता. अभी प्याज का मामला ही ले लीजिए. किसानों की शिकायत है कि जब प्याज से कमाई की बात आई तो सरकार ने निर्यात पर बैन लगा दिया. ऐसे में किसान जाए तो कहां जाए और अपनी फरियाद किससे करे. अबोहर के किन्नू किसानों के साथ भी कुछ ऐसी ही शिकायते हैं.

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