गाजियाबाद में 30 साल लाइफ वाली बनेगी सड़क, अब गड्ढों से मिलेगा छुटकारा
Uttar Pradesh : गाजियाबाद नगर निगम व्हाइट टॉपिंग तकनीक का उपयोग करके सड़क बनाने की योजना बना रहा है। इस तकनीक से बनाई गई सड़कों में गड्ढों की कोई परेशानी नहीं होती और न ही उनकी रिपेयरिंग की आवश्यकता होती है। व्हाइट टॉपिंग वाली सड़क का कुछ नहीं बिगड़ेगा, फिर चाहे इस सड़क पर कितने भी वाहन दौड़ें या पानी पड़े। इंजीनियरों का कहना है कि यह तकनीक थोड़ी महंगी है, लेकिन एक बार पैसा खर्च करने के बाद कम से कम 30 साल तक परेशानी नहीं होगी। नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने कहा कि यूपी में मेरठ ने पहली बार इस तकनीक का उपयोग किया है और अब गाजियाबाद में इसका उपयोग किया जाएगा। जिसे बनाने के लिए टेंडर कॉल जारी किए गए हैं। जिनके पूरा होते ही सड़क बनाने का काम शुरू किया जाएगा।
1.2 किलोमीटर लंबी सड़क का होगा, निर्माण
गाजियाबाद नगर निगम ने व्हाइट टॉपिंग तकनीक से सड़क बनाने का फैसला किया है। हम-तुम सड़क को मॉडल सड़क के रूप में चुना गया है। यह सड़क सिर्फ 1.2 किलोमीटर लंबी है। यह सड़क हम-तुम रेस्टोरेंट को मेरठ रोड से सीधे राजनगर एक्सटेंशन से जोड़ती है, इसलिए इसे हम-तुम रोड कहा जाता है। राजनगर एक्सटेंशन में निर्माण कार्यों के चलते इस सड़क पर बिल्डिंग सामग्री के डंपर चलते हैं, जिससे सड़क बुरी तरह टूट गई है और गहरे गड्ढे हो गए हैं। इसके अलावा इस सड़क से नगर निगम का कचरा लेकर जाने वाले दो सौ ट्रक भी गुजरते है।
इस तकनीक से सड़क बनाना है, काफी महंगा
नगर निगम के मुख्य अभियंता एनके चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि व्हाइट टॉपिंग तकनीक से सड़क बनाना बहुत महंगा है। क्योंकि 1.2 किमी की सड़क का निर्माण लगभग 6 करोड़ रुपए की लागत से होगा। भारी वाहनों के गुजरने और जलभराव के बाद भी इस सड़क की मरम्मत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और यह सड़क 30 साल तक चलेगी। मेरठ में एक सड़क का निर्माण इस व्हाइट टॉपिंग तकनीक से हुआ है। यह उत्तर की दूसरी सड़क होगी जिसमें इस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक का ज्यादातर प्रयोग हाईवे बनाने में किया जाता है।
तकनीक में होता है, फाइबर लेयर का इस्तेमाल
व्हाइट टॉपिंग तकनीक से बनाई गई सड़कों पर फाइबर की लेयर लगाई जाती है। फाइबर के लेयर से सड़क में नमी बनी रहती हैं। इस तकनीक से बनाई गई सड़कों को भारी लोड और जल जमाव भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते, इसलिए सड़कों को 30 साल तक रिपेयर की जरूरत नहीं पड़ती है। मुख्य अभियंता एनके चौधरी ने कहा कि वाइट टापिंग तकनीक से सीसी रोड (वर्तमान डामर सड़क) बनाया जाएगा और फिर फाइबर की परत लगाई जाएगी। इस तकनीक से बनने वाली पहली सड़क गाजियाबाद में बनेगी।