Gratuity Calculation: 35 हजार सैलरी वाले कर्मचारियों को मिलेगी 1,41,346 रुपये ग्रेच्युटी, जानें आसान तरीका

TheChopal: हाल ही में सरकार ने ग्रेच्युटी (Gratuity) से जुड़े टैक्स के नियम बदल दिए हैं। अब पहले की तरह 20 लाख रुपये तक नहीं, बल्कि 25 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी बिना टैक्स के मिलेगी। यह पैसा कर्मचारी को उसकी कंपनी (नियोक्ता) देती है। इस लाभ को पाने के लिए कर्मचारी का कम से कम 5 साल तक उसी कंपनी में काम करना जरूरी है। आमतौर पर ग्रेच्युटी तब दी जाती है जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या रिटायर होता है। अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है या कोई हादसा हो जाता है और वह नौकरी नहीं कर पाता, तो उसकी ग्रेच्युटी उसके नामित व्यक्ति (नॉमिनी) को दी जाती है।
ग्रेच्युटी पाने के लिए क्या चाहिए?
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार, अधिकतम ग्रेच्युटी की राशि 25 लाख रुपये तक हो सकती है। ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल काम करना जरूरी होता है। अगर कर्मचारी 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ता है, तो उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। लेकिन अगर कर्मचारी की मौत या हादसे की वजह से नौकरी छूटती है, तो ये 5 साल की शर्त नहीं लगती। ग्रेच्युटी कंपनी अपने कर्मचारियों को देती है और इसके लिए लगातार 5 साल एक ही कंपनी में काम करना जरूरी होता है। मौत या अक्षमता के मामले में 5 साल पूरे होने की जरूरत नहीं होती। पहले ग्रेच्युटी की सीमा 20 लाख रुपए थी, जिसे अब बढ़ाकर 25 लाख कर दिया गया है।
ग्रेच्युटी कैसे निकालते हैं?
ग्रेच्युटी की रकम निकालने का फार्मूला है:
(आखिरी सैलरी) x (15/26) x (काम किए साल)
उदाहरण के लिए, अगर आपने 7 साल एक कंपनी में काम किया और आपकी आखिरी सैलरी 35,000 रुपये है, तो ग्रेच्युटी होगी:
35,000 x (15/26) x 7 = 1,41,346 रुपए।
इसका मतलब है कि आपको लगभग 1,41,346 रुपये ग्रेच्युटी के तौर पर मिलेंगे।
15/26 का मतलब क्या है?
ग्रेच्युटी की गणना हर साल के 15 दिन के आधार पर की जाती है। एक महीने में कुल 26 काम के दिन माने जाते हैं, क्योंकि महीने में लगभग 4 दिन छुट्टियां होती हैं। इस हिसाब से ग्रेच्युटी की रकम निकाली जाती है।
सेवा के साल कैसे गिने जाते हैं?
अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में 6 महीने से ज्यादा काम करता है, तो उसे पूरे एक साल माना जाता है। जैसे, 7 साल 7 महीने की सेवा को 8 साल माना जाएगा, लेकिन 7 साल 3 महीने को 7 साल ही माना जाएगा।
ग्रेच्युटी के लिए दो कैटेगरी होती हैं:
कैटेगरी 1:
वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के तहत आते हैं।
कैटेगरी 2:
वे कर्मचारी जो इस एक्ट के तहत नहीं आते।
यह कैटेगरी निजी और सरकारी दोनों सेक्टर के कर्मचारियों पर लागू होती हैं।
ग्रेच्युटी की गणना का फॉर्मूला (जो एक्ट के तहत आते हैं):
आखिरी वेतन × नौकरी की अवधि (सालों में) × 15/26
यह फॉर्मूला ग्रेच्युटी की सही रकम निकालने में मदद करता है।