यहां हाथी के गोबर से बनता हैं कागज, कॉपी-किताबों की तरह पूरे देश में बिक रहे हैं पेपर
राम सिंह शेखावत ने बताया कि सबसे पहले आमेर किला सहित कई जगहों से हाथी का गोबर लेते हैं। उन्हें खेत में ले जाकर चार से पांच बार साफ करना चाहिए।
Agri News : एक रिपोर्ट के अनुसार, कागज बनाने के लिए विश्व भर में प्रतिदिन करीब डेढ़ लाख पेड़ काटे जाते हैं। यही असली कारण है कि विश्व का पर्यावरण संतुलन भी बहुत खराब हो रहा है। लेकिन हम सभी की सामान्य जिंदगी में कागज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम स्कूल जाने से पहले कागज से जुड़ते हैं। लेकिन लगता है कि कागजों की वजह से काफी पेड़ काटे जा रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा संकट बनता है। लेकिन हाथी की मदद से राजस्थान के दो भाई ने इको-फ्रेंडली कागज बनाए हैं। विश्व में अभी तक किसी ने ऐसा कुछ करके दिखाया नहीं है।
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राजस्थान से आए राम सिंह शेखावत, जो हाथी के गोबर से इको फ्रेंडली उत्पाद भी बनाते हैं, दिल्ली हाट में पहुंचे। उन्होंने बताया कि हाथी के गोबर से कागज बनाना शुरू किया, जो काफी इको फ्रेंडली है। उन्हें बताया गया कि वे पिछले 24 सालों से हाथी के गोबर से पेपर बना रहे हैं। जैसे डायरी, टी कोस्टर, एनवेलप, डेली प्लानर और हैंडमेड लूडो। खास बात यह है कि कागज खराब होने पर खाद बन जाता है, पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता।
गोबर से पेपर बनाने की विधि
राम सिंह शेखावत ने बताया कि सबसे पहले आमेर किला सहित कई जगहों से हाथी का गोबर लेते हैं। उन्हें खेत में ले जाकर चार से पांच बार साफ करना चाहिए। नालियों से इस गोबर का पानी खेतों तक जाता है। ऐसे में उस भूमि को कोई केमिकल या फर्टिलाइजर नहीं चाहिए। धोने के बाद इसमें 25 प्रतिशत काटन और 75 प्रतिशत हाथी का गोबर मिलता है। इसके बाद एक विशिष्ट उपचार किया जाता है। यह सामग्री हाथ से कागज का आकार देती है।
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