UP News : उत्तर प्रदेश के इस गांव में टीला चांदी-तांबे के सिक्के उगल रहा

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उत्तर प्रदेश के इस गांव में टीला चांदी-तांबे के सिक्के उगल रहा 

THE CHOPAL - बम्हेरा गांव पाषाण काल के कई रहस्यों को समेटे हुए है। इस गांव, जो एक ऊंचे टीले पर बसा है, की एक विशेषता है कि जमीन की खुदाई करने पर यहां अक्सर कोई बहुमूल्य वस्तु मिलती है। सोने का सिक्का भी कभी-कभी चांदी या तांबे का मिलता है। प्राचीन मूर्ति कभी-कभी मिलती है। ग्रामीणों की इच्छा है कि पुरातत्व विभाग इस गांव का एक सर्वेक्षण करे।  

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बम्हेरा गांव कमलापुर से पश्चिम दिशा में सात किमी की दूरी पर एक टीले पर स्थित है। यद्यपि इस गांव में सभी जातियों के लोग रहते हैं, इसकी अधिकांश आबादी राजपूतों की है। पुरानी कहानी कहती है कि राजपूतों ने इस गांव में डेरा डाला था। ग्रामवासी रामकुबेर सिंह बताते हैं कि तीन सगे भाइयों ब्रजभान, सुरजभान और समर सिंह ने उन्नाव जिले के डुणयीया गांव से आकर यहां बस गए थे। उस समय टीले पर जंगल था।  तीनों राजपूत भाइयों ने यहां पहले से रह रहे आदिवासियों को बाहर निकालकर खुद बस गए। 

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गांव में रहने वाले राजपूतों में से एक हैं। ग्रामवासी कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि गांव जिस टीले पर बना था, वह पहले तीन ओर से पानी से घिरा हुआ था। यहां एक बड़ी झील थी, जो समय के साथ पाटी जाती रही और अंततः गायब हो गई। उसने कहा कि आज भी टीले पर घर बनाने के लिए खुदाई करने पर दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां और अन्य सामान मिलते हैं। यही नहीं, अक्सर नक्काशीदार पत्थरों के टुकड़े भी मिले हैं। वर्षों पहले, रामकुबेर सिंह के बाबा जोधे सिंह ने घर बनवाने के लिए खुद की नींव बनाते हुए लगभग डेढ फिट ऊंची दुर्लभ भगवान विष्णु की मूर्ति खोजी। 

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ऐसे ही उन्होंने एक मंदिर बनाया और अपनी मूर्ति उसमे स्थापित की थी। मनरेगा के तहत तालाब की खुदाई के दौरान कुछ वर्ष पहले काले पत्थर की एक मूर्ति मिली थी। पुलिस ने खुदाई के दौरान फारसी भाषा में कुछ अंकित दुर्लभ सिक्के भी बरामद किए। यहां लोगों को मिट्टी के आकर्षक बर्तनों के अवशेष, दुर्लभ तलवारें और अन्य कई प्राचीन वस्तुएं मिलती रही हैं। यह टीला प्राचीन लगता है। ग्रामीणों का कहना है कि पुरातत्व विभाग इस टीले को खोज ले तो कई रहस्य सामने आ सकते हैं।
 
कमलापुर में सोलह कोणीय कुआं भी आकर्षक है। गाँव के उत्तर में सोलह कोणीय कुआँ है। गांव के शिक्षक रमेश चन्द्र पाण्डेय ने बताया कि यहां के कूएं से पानी लेने से लोगों ने गांव की कमला नामक वेश्या को रोका था। Kamala ने अपने दम पर कूआं खुदवाएगी और तभी पानी पी जाएगी। महिला ने सोलह दिनों में एक सोलह-कोणीय कूएं बनाया और उसी का पानी पिया। इस कूएं के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।