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Income Tax : सेविंग और करंट अकाउंट में इस लिमिट से अधिक का लेन देन करने पर इनकम टैक्स को देनी होगी जानकारी

कुछ ग्राहक यह नहीं जानते कि एक फाइनेंशियल ईयर में आप सेविंग अकाउंट में कितना पैसा डाल या निकाल सकते है, जिससे आप टैक्स के दायरे में ना आए?आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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Information will have to be given to Income Tax if any transaction exceeds this limit in savings and current account.

The Chopal News : सभी लोगों के सेविंग्स अकाउंट (Saving Account) होते हैं. ऐसे ग्रहकों को यह जान लेना बेहद जरूरी है कि उनके अकाउंट में पड़े बैलेंस में कितने पर टैक्स लगता है कितने पर नहीं. दरअसल बैंक की तरफ से सेविंग अकाउंट पर सालाना ब्याज (Annual Interest) दिया जाता है, लेकिन सभी बैंक की अलग-अलग ब्याज दर होती है. वहीं कुछ ग्राहक यह नहीं जानते कि एक फाइनेंशियल ईयर में आप सेविंग अकाउंट में कितना पैसा डाल या निकाल सकते है, जिससे आप टैक्स के दायरे में ना आए?

टैक्स डिपार्टमेंट को देना होगा जवाब

बता दें बैंक कंपनियों को हर साल टैक्स डिपार्टमेंट (Tax Department) को बैंक से ग्राहकों द्वारा 10 लाख या उससे अधिक अमाउंट निकालने पर जवाब देना होता है. टैक्स कानून के तहत बैंक को करंट फाइनेंशियल ईयर के दौरान उन अकाउंट्स की जानकारी देनी होती है. यह लिमिट करदाता के एक या एक से अधिक खातों (चालू खातों के अतिरिक्त व टाइम डिपॉजिट) में फाइनेंशियल ईयर में दस लाख रुपये या उससे अधिक कैश जमा के लिए समग्र रूप से देखी जाती है.

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केवल इतना कैश कर सकते हैं जमा

करंट अकाउंट में कैश डिपॉजिट की सीमा 50 हज़ार रुपए या उससे अधिक है. लेनेदेन की बात करें, तो होस्टबुक लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष कपिल राणा कहते हैं कि एक व्यक्ति को खातें से किए जाने वाले आय व्यय को लेकर इनकम टैक्स के नियम 114E के बारे में जानकारी होनी चाहिए. इससे वह एक फाइनेंशियल ईयर (Financial year) में अपने सेविंग अकाउंट से उतना ही पैसा निकाले या जमा करे जिससे वो आयकर की रडार में ना आए.

इन बातों को रखें ख्याल

बैंक चाहे प्राइवेट हो या फिर सरकारी, जो भी ग्राहकों को अकाउंट खोलने की सुविधा देता. उन बैंक के ऊपर  बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949(Banking Regulation Act 1949) लागू होता है. ऐसे बैंकों को अकाउंट ट्रांसजेक्शन की रिपोर्ट देना जरूरी होता है. खासकर की करंट और टाइम डिपॉजिट वाले अकाउंट्स को छोड़कर उन खातों में फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा कैश जमा किया जाता है.

वहीं पेमेंट या सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 की धारा 18 के तहत RBI द्वारा जारी किए गए बैंक ड्राफ्ट (Bank Draft), पे ऑडर (Pay Order), बैंकर चैक (Banker Cheque), प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट्स (Prepaid Instrument) की खरीद के लिए एक फाइनेंशियल ईयर में नकद एकत्रीकरण में 10 लाख या उससे अधिक पेमेंट की गई हो.

क्रेडिट कार्ड भुगतान

जो बैंक ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड सर्विस देता है और उस पर भी  (Banking Regulation Act 1949) लागू होता है या किसी और कंपनी-संस्था को अकाउंट ट्रांसजेक्शन की रिपोर्ट देना जरूरी होता है.

एक या दो से ज्यादा जिनके पास क्रेडिट कार्ड होते हैं और उन्हें बिल के विरूध एक फाइनेंशियल ईयर में एक लाख या उससे अधिक का कैश भुगदान करना होगा. साथ ही बिल के विरूध किसी भी मोड से 10 लाख या उससे अधिक की पेमेंट करनी होगी.

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