UP में गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे बनेगा औद्योगिक कॉरिडोर,100 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण
UP News : उत्तर प्रदेश की हर जिले से एक्सप्रेसवे होकर गुजरती है। लेकिन उत्तर प्रदेश की सबसे लंबी एक्सप्रेस वे को अप्रूवल आगरा एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेस से भी कनेक्ट किया जाएगा। योगी सरकार के बड़े कदम से युवाओं को नौकरी भी मिलेगी।

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे नेटवर्क को जोड़ने के लिए योगी सरकार बड़े स्तर पर काम कर रही है। खासकर उत्तर प्रदेश की सबसे लंबी एक्सप्रेसवे परियोजना को लेकर जो अपडेट सामने आ रही है, वह राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार दोनों ही दृष्टिकोण से काफी अहम है। औद्योगिक क्षेत्रों का जाल उत्तर प्रदेश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे बिछाने की योजना बनाई जा रही है।
मेरठ से प्रयागराज तक बनाया जा रहा गंगा एक्सप्रेसवे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पूर्वी उत्तर प्रदेश की दूरी को कम करेगा और युवाओं को नौकरी भी मिलेगी। शाहजहांपुर के जलालाबाद में भी एक्सप्रेसवे के किनारे एक औद्योगिक कॉरिडोर बनाया जाएगा। यूपीडा ने इस औद्योगिक क्षेत्र के लिए सौ हेक्टेयर जमीन खरीद ली है। उद्यमी मानते हैं कि इससे अधिक लोगों को काम मिलेगा। व्यापारिक क्षेत्र की कनेक्टिविटी से उत्पाद कुछ घंटों में दिल्ली, लखनऊ, कानपुर जैसे बड़े शहरों में पहुंच जाएगा।
"टेक्सटाइल इंडस्ट्री लगे तो पलायन रुकेगा"
शाहजहांपुर के कारोबारी और इंडियन इंडस्ट्रीज असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अशोक अग्रवाल का कहना है कि गंगा एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी से निश्चित रूप से फायदा होगा। इस पूरे बेल्ट में काठ, जलालाबाद, फर्रुखाबाद, शाहाबाद और पाली में बहुत से लोग टेक्सटाइल में काम करते हैं। लाखों लोग देश से बाहर जाकर टेक्सटाइल में काम करते हैं। अगर टेक्सटाइल उद्योग इंडस्ट्री को इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में लगता है, तो इससे स्थानीय लोगों का पलायन रुकेगा और क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। पास के जिले फर्रुखाबाद में टेक्सटाइल का उत्पादन होता है। टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना से भी इस क्षेत्र के लोगों को लाभ होगा।
व्यापार क्षेत्र में संभावनाएं
शाहजहांपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों, जैसे फर्रुखाबाद और हरदोई में अच्छी तरह से आलू की खेती होती है। इसके अलावा, गंगा किनारे वाले क्षेत्रों में शक्करकंदी की फसल बहुत अच्छी होती है। इन दोनों कृषि उत्पादों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बड़ी मांग है। यही कारण है कि उद्यमी मानते हैं कि अगर खाद्य प्रक्रियाओं का उद्योग इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में शामिल किया जाएगा, तो इससे आसपास के क्षेत्रों को लाभ होगा। किसानों को विशेष रूप से उनकी फसल की उचित कीमत मिलेगी।