Bihar में जमीन की अदला-बदली होगी आसान, रजिस्ट्री ऑफिस बार-बार जाने का झंझट होगा खत्म
Bihar Land Rule : बिहार में जमीनों की अदला-बदली को लेकर सरकार की फैसले के बाद आम जनता को बड़ी राहत मिलने वाली है. सरकार की तरफ से अमल में लाई गई है नई व्यवस्था ग्रामीण इलाकों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी. अब रजिस्ट्री के लिए ऑफिस के बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

Bihar Land Registry: नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में जमीन सर्वे को आसान बनाया है। बिहार सरकार के इस निर्णय से, रैयतों को अब जमीन अदला-बदली के लिए बार-बार रजिस्ट्री ऑफिस जाना नहीं पड़ेगा। यह नई प्रणाली ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से फायदेमंद होगी, जहां जमीन की बिक्री पारंपरिक रूप से मौखिक समझौतों के आधार पर होती आती है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के नागरिकों को रजिस्ट्री कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय और पैसे की बचत होगी।
जमीन की अदला बदली
इसके तहत दो रैयतों के बीच आपसी सहमति से जमीन की अदला बदली, या बदली, कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है। साल 2025 में बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त (संशोधन) नियमावली में किए गए इस बदलाव से हजारों किसानों को लाभ होगा, जिन्हें वर्षों से अदला बदली की गई जमीन पर कानूनी अधिकार नहीं मिला था। बिहार सरकार के इस निर्णय से, रैयतों को अब जमीन अदला बदली के लिए बार-बार रजिस्ट्री ऑफिस जाना नहीं पड़ेगा। यह नई प्रणाली ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से फायदेमंद होगी, जहां जमीन की बिक्री पारंपरिक रूप से मौखिक समझौतों के आधार पर होती आती है।
जमीन अदला बदली कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त
जहानाबाद जिला बंदोबस्त पदाधिकारी उपेंद्र प्रसाद ने कहा कि अगर दो रैयतों के बीच जमीन की अदला बदली मौखिक रूप से हुई हो और दोनों ने शांतिपूर्वक जमीन पर कब्जा कर रखा हो तो वैद्य माना जाएगा। यही नहीं, सर्वेक्षण के दौरान दोनों पक्ष लिखित रूप में अपनी सहमति देते हैं, तो उनका नाम भू अधिकार अभिलेख में अंकित होगा और उसी आधार पर उनका खाता खोला जाएगा। इस फैसले से न सिर्फ किसानों को उनकी जमीन का अधिकार दिलाने में मदद मिलेगी, बल्कि भूमि संबंधी बहस भी कम होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी प्रक्रियाएं भी सरल होंगी। मालूम हो कि जहानाबाद में इस मामले पर पहले से ही काम किया जा रहा है।
किसानों का काम आसान होगा
माना जाता है कि पहले जमीन की अदला बदली का चलन अच्छा था, लेकिन कोई वैद्य अधिकार नहीं था। रजिस्ट्री शुल्क और अन्य प्रक्रियाओं से बचने के लिए, सुविधा के अनुसार लोगों ने आपसी सहमति से जमीन की अदला बदली की। यद्यपि, इस परिस्थिति में वह न तो उस जमीन को बेच सकता था और न ही उसका कोई उत्तराधिकारी बन सकता था। लेकिन अब सरकार के इस निर्णय से सभी रैयतों को राहत मिलेगी, जिनकी जमीन बदली वाली है। क्योंकि यह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है। रैयत अब बैंक से लोन ले सकते हैं और खरीद-बिक्री कर सकते हैं।