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Noida व गाजियाबाद को छोड़कर अब UP के इन शहरों में घर खरीदना चाह रहे लोग, जाने वजह

आपको बता दे कि नोएडा गाजियाबाद की जगह यूपी के अन्य शहरों में नया मकान लेने का क्रेज बढ़ रहा है, आइए जानते है इन शहरों के बारे में विस्तार से।

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Leaving Noida and Ghaziabad, people are now wanting to buy houses in these cities of UP, know the reason

The Chopal : दिल्ली-एनसीआर देश के टॉप प्रॉपर्टी मार्केट (Country's top property markets) में से एक है. दिल्ली से सटे होने की वजह से उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद को भी खूब फायदा मिला है. ऑफिस से लेकर रिटेल स्पेस और रेजिडेंशियल सभी मामलों में इन दोनों शहरों में प्रॉपर्टी के रेट कहीं से भी दिल्ली से कम नहीं. पर RERA Act के अमल में आने के बाद स्थिति थोड़ी बदल गई है. उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेग्यूलेटर अथॉरिटी (UP RERA) के आंकड़ों पर नजर डालें, तो अब नोएडा गाजियाबाद की जगह यूपी के अन्य शहरों में नया मकान लेने का क्रेज बढ़ रहा है.

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केंद्र सरकार ने एक मॉडल रेरा कानून बनाया था, जिसके आधार पर अलग-अलग राज्य ने अपने यहां रेरा की स्थापना की. उत्तर प्रदेश रेरा की स्थापना साल 2017 में हुई. रेरा को स्थापित करने का मकसद देश में तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट क्षेत्र को रेग्यूलेट करने और ट्रांसपरेंसी लाने के साथ होम बायर्स के हितों की रक्षा करना और ग्राहकों एवं बिल्डर्स के बीच के विवाद का तेजी से समाधान करना है.

यूपी में आए 3340 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स

यूपी रेरा ने एक बयान में बताया कि उसके पास अब तक 3,340 से ज्यादा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स रजिस्टर हो चुके हैं. इसमें 2022 में मिले 225 आवेदन शामिल हैं. साल की पहली छमाही (जनवरी-जून) में उसे कुल 125 और दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में 100 आवेदन मिल चुके हैं.

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बयान के मुताबिक रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स में लगभग 72 प्रोजेक्ट्स एनसीआर में और 153 प्रोजेक्ट्स अन्य जिलों में थीं. इसमें से रिकॉर्ड 36 प्रोजेक्ट्स त्योहारों से ठीक पहले सितंबर में रजिस्टर हुए हैं. रेरा में रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स में से 1,290 नई हैं. इसमें मई 2017 के बाद रजिस्टर हुए प्रोजेक्ट्स को रखा गया है. इनमें से 480 यानी 37 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स एनसीआर में हैं, जबकि 810 यानी 63 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स अन्य जिलों में हैं. यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार का कहना है कि नॉन-एनसीआर शहरों से उसे कई नए प्रोजेक्ट्स के आवेदन मिले हैं. इसमें से लगभग 20 प्रतिशत लखनऊ में हैं, जबकि वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, बरेली, मुरादाबाद, आगरा, मथुरा और वृंदावन में भी अच्छी संख्या में नए प्रोजेक्ट्स रजिस्टर हुए हैं.