UP में इस महीने बिजली की नई दरें होगी तय, 12 फीसदी इजाफा चाहती हैं कंपनियां
UP News : उत्तर प्रदेश की बिजली उपभोक्ताओं के लिए बहुत बढ़िया अपडेट सामने आ रही है मध्य प्रदेश में बिजली की नई धूरे होने वाली है। उत्तर प्रदेश में बिजली की नई दरें घोषित की जाएंगी। बिजली कंपनियों द्वारा वर्ष 2025–26 के लिए प्रस्तुत AR प्रस्ताव को राज्य विद्युत नियामक आयोग ने मंजूरी दी है।

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक अहम और सकारात्मक अपडेट है। सितंबर से पहले उत्तर प्रदेश में बिजली की नई दरें घोषित की जाएंगी। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2025–26 के लिए बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उपभोक्ताओं को आपत्तियां देने के लिए 21 दिन मिल गए हैं. जून से जनता के बीच बिजली दरों पर सुनवाई शुरू होगी। प्रस्ताव स्वीकृत होने के 120 दिनों में नई दरें निर्धारित की जानी चाहिए।
बिजली कंपनियों ने पिछले वर्ष नवंबर में AR दाखिल किया था। इसके बाद आयोग ने प्रस्ताव को अनुमोदित नहीं किया था। अप्रैल में आयोग ने नए प्रोफॉर्मा के बारे में अधिक जानकारी मांगी थी, और अब आरआर मंजूर कर लिया गया है। AR और ट्रू-अप 2023–24 और 2024–25 के वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन भी स्वीकृत हैं। विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि बहुवर्षीय वितरण टैरिफ नियमन-2025 के तहत बिजली कंपनियों ने दरों का प्रस्ताव नहीं दिया है। कंपनियों को तीन दिन के भीतर पूरे डेटा को समाचार पत्रों में छापना होगा और उपभोक्ता इस डेटा पर 21 दिनों में अपनी आपत्ति और सुझाव देंगे। जून से आयोग आम जनता के बीच सुनवाई करेगा।
9 से 10 हजार करोड़ रुपये का अंतर है
ऊर्जा कंपनियों ने बिजली दरों पर प्रस्ताव नहीं दिया है, लेकिन AR में आपूर्ति व राजस्व में 9 से 10 हजार करोड़ रुपये का अंतर है। बिजली कंपनियां चाहती हैं कि आयोग उनके पक्ष में निर्णय ले और इस अंतर का भुगतान करें। बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग पर भरोसा करते हुए अपनी तरफ से दरों का प्रस्ताव नहीं दिया है। जनता के बीच सुनवाई में बिजली कंपनियों द्वारा खर्च की गई रकम के बारे में सवाल उठने के लिए कोई कारण नहीं है।
1 लाख 13 हजार 923 करोड़ रुपये का आरआर दाखिल
बिजली कंपनियों ने लगभग 1 लाख 13 हजार 923 करोड़ रुपये का आरआर दाखिल किया है। कुल मिलाकर, सभी विद्युत कंपनियों ने लगभग 1,33,779 मिलियन यूनिट विद्युत की आवश्यकता बताई है। ARR में बहुवर्षीय वितरण टैरिफ नियमन के तहत, बिजली कंपनियां ने लाइन हानियों और सकल तकनीकी व व्यावसायिक (AT&C) हानियों के बारे में कुछ नहीं कहा है। बिजली कंपनियों ने अनुमान लगाया है कि पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) को इतनी मात्रा में बिजली खरीदने के लिए लगभग 88,755 करोड़ रुपये की ट्रांसमिशन चार्ज देनी होगी।
बिजली दरों में औसतन 12% इजाफा चाहते हैं कंपनियां
सूत्रों के अनुसार, विद्युत कंपनियां वर्तमान बिजली दरों में लगभग 12% का इजाफा चाहती हैं। यही कारण है कि, हालांकि उन्होंने बिजली आपूर्ति के खर्च और इसके एवज में आने वाले राजस्व के बीच अंतर बताया है, लेकिन आयोग ने बिजली दरें बढ़ाने का निर्णय लिया है। जनता के बीच सुनवाई में कंपनियों के दावों को चुनौती दी जाएगी, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा। विद्युत उपभोक्ताओं का लगभग 33,122 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर बकाया है। यही कारण है कि बिजली कंपनियों ने स्पष्ट रूप से नई दरों का प्रस्ताव नहीं किया है। उन्हें कानून के अनुसार बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव देना चाहिए था। उपभोक्ता परिषद बिजली दरों में किसी भी तरह का इज़ाफा नहीं करेगा।
निजीकरण की समस्या
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि आयोग द्वारा आरआर स्वीकार करने के बाद, विद्युत कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव 31 मार्च 2026 तक स्थगित हो गया है। अब नई बिजली दरों पर चर्चा होगी। इनमें पावर कॉरपोरेशन पाले का लक्ष्य पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजीकरण करना है। आयोग को निजीकरण के बारे में अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। नई दरें दक्षिण और पूर्व में भी लागू होंगी। यही कारण है कि वे न तो निजीकृत हो सकेंगे और न ही उनकी जगह कोई और कंपनी बनाई जा सकेगी।