कोई भी नहीं कर सकेगा अब जमीन पर कब्जा, बनेगा भूमि का आधार कार्ड, जारी होंगे अंक
Land Aadhar card: अब आपके प्लॉट या जमीन भी आधार कार्ड बन जाएगा। इस बजट में केंद्र सरकार ने इसकी घोषणा की है। इस योजना के तहत आपकी जमीन को 14 अंकों का एक विशेष संख्या नंबर मिलेगा। जिसे भू-आधार (ULPIN) के नाम से जाना जाएगा।

The Chopal : केंद्र सरकार ने भूमि रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से 'भू-आधार' या यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत, प्रत्येक भूमि खंड को 14-अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जाएगी, जो आधार कार्ड की तरह भूमि की पहचान सुनिश्चित करेगी।
अब जमीन को भी देश के नागरिकों के आधार कार्ड की तरह विशिष्ट पहचान मिलेगी। भू आधार कार्ड (Land Aadhar card) इसका नाम है। इसे आम बजट में जमीन रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन के तहत भी प्रस्तावित किया गया है। इसे तीन वर्ष में लागू कर दिया जाएगा। ऐसे में अब आपकी जमीन का भी आधार कार्ड बन जाएगा। वैसे भी, आधार कार्ड की घोषणा ने देश में बहुत कुछ बदलाव लाया है। आज, आधार कार्ड के कारण कई सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों के खाते में सीधे पहुंच रहा है। इसलिए आधार कार्ड बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है।
दरअसल, बजट 2024 में सरकार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सुधार के लिए बहुत कुछ किया है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भू-आधार या विशिष्ट पहचान की संख्या का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा, शहरी जमीन का डिजिटलीकरण भी प्रस्तावित है। इस लक्ष्य को अगले तीन सालों में पूरा करने के लिए सरकार राज्य सरकार को धन देगी। भू-आधार से जमीन पर विवाद भी समाप्त हो जाएगा और मालिकाना हक भी स्पष्ट हो जाएगा।
भू आधार क्या है?
भू-आधार के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जो जमीन है उसे 14 अंकों की अलग पहचान संख्या मिलेगी। भू आधार (ULPIN) इसका नाम है। इस प्रक्रिया में भूमि का मानचित्रण, सर्वे, मालिकाना और किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, जिसमें भूमि की पहचान संख्या शामिल है। इससे कृषि लोन प्राप्त करना आसान हो जाएगा। इसके अलावा, वे दूसरी कृषि सुविधाओं को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही शहरी क्षेत्रों में जमीन के अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के माध्यम से डिजिटल किया जाएगा।
भू-आधार इस तरह काम करता है
इसमें पहले GPS तकनीक का उपयोग करके जमीन को जियोटैग किया जाता है। इसके बाद, सर्वेक्षण करने वाले भौतिक रूप से भूमि की सीमा की जांच करते हैं और मापते हैं। इसके बाद जो रिकॉर्ड जुटाया जाता है भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में इसे डाल दिया जाता है। बाद में, प्रणाली स्वयं 14 अंकों की भू-आधार संख्या बनाती है। भू-आधार संख्या डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल है।