Noida Property: नोएडा में अब बढ़ने लगी प्रॉपर्टी की कीमतें, 3 साल बाद होने जा रहा ये काम
नोएडाः दिल्ली से सटे नोएडा में संपत्ति की कीमतों में एक बार फिर उछाल देखने को मिल सकता है। इसकी वजह यह है कि नोएडा सर्किल रेट्स में तीन साल में बदलाव हो सकता है। स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन विभाग जल्दी ही संपत्ति का सर्वे करने वाला है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटीज छह महीने या एक साल में जमीन देने के रेट बदलते हैं, लेकिन 2020 से 2022 तक जिला प्रशासन ने सर्किल रेट में कोई बदलाव नहीं किया। इसकी वजह थी कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र की धीमी गति थी। किसानों ने भी लंबे समय से खेती की जमीन का सर्किल रेट बढ़ाना चाहा है।
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नोएडा के एडीएम (फाइनेंस एंड रेवेन्यू) अतुल कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन ने सब-रजिस्ट्रारों को विभिन्न इलाकों और कैटगरी में मौजूदा सर्किल रेट और मार्केट रेट की जांच करने को कहा है। रिजिडेंशियल, इंडस्ट्रियल, कमर्शियल और कृषि क्षेत्रों में सर्वे किया जाएगा। इसके आधार पर एक रिपोर्ट बनाई जाएगी, जिससे निर्धारित किया जाएगा कि किन क्षेत्रों में सर्किल दरों को बढ़ाना चाहिए। सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट्स को भी अपने-अपने क्षेत्रों में सर्वेक्षण करके विभिन्न प्रकार की जमीन की बाजार मूल्य का पता लगाने का आदेश दिया गया है। प्रशासन से पीडब्ल्यूडी और वन विभाग को अपडेटेड रेट्स की सूची उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई है। सर्किल रेट्स में बदलाव करने का निर्णय अगली बैठक में हो सकता है।
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किसानों की आवश्यकता
नोएडा के प्रॉपर्टी कंसल्टेंट रोहित गुजराल ने कहा कि संपत्ति के स्थान पर सर्किल दर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेक्टर 51 में मेट्रो स्टेशन के आसपास कमर्शियल संपत्ति की मार्केट प्राइस लगभग दो लाख रुपये प्रति स्क्वायर मीटर है, जबकि दूर पर यह 70,000 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर है। यह स्थिति है जब दोनों का सर्किल रेट बराबर है। इसमें परिवर्तन होना चाहिए।
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किसानों ने भी लंबे समय से खेती की जमीन का सर्किल रेट बढ़ाना चाहा है। ग्रेटर नोएडा के जुनैदपुर गांव के किसान सुनील प्रधान ने बताया कि उनके परिवार के पास लगभग 100 एकड़ जमीन है। अथॉरिटी अलॉटमेंट रेट को बार-बार बदलती है, लेकिन खेती की जमीन का सर्किल रेट नहीं बदला है। अथॉरिटी गांवों में खेती की जमीन खरीदकर किसानों को सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजा देती है। सरकार सर्किल रेट नहीं बढ़ा रही क्योंकि वह किसानों को अधिक मुआवजा नहीं देना चाहती है।