Property Dispute : भाई-बहन का जमीनी विवाद पहुंचा हाईकोर्ट, अदालत ने बताया कौन-सी प्रॉपर्टी नहीं मानी जाएगी पुश्तैनी
property Knowledge : संपत्ति से जुड़े कई मामले सामने आते हैं। कोर्ट ने हाल ही में पुश्तैनी संपत्त्ति पर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इस मामले में भाई-बहन के बीच संपत्ति का विवाद था, जिससे हाईकोर्ट ने उनके अधिकारों को प्रोपर्टी विवाद में निर्धारित किया। आइए खबर में हाई कोर्ट के फैसले को जानें।

The Chopal, Property Knowledge : बेटे और बेटी दोनों को पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होता है, लेकिन आज भी कई लोग बेटे को कुल का वंश मानते हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें दो भाई-बहन के बीच संपत्ति के अधिकारों को लेकर बहस चल रही है।
इन विवादों के दौरान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसमें बताया गया है कि किस संपत्ति को पुश्तैनी नहीं माना जाएगा।
पूरी बात जानें-
मामला डॉक्टर पिता की मृत्यु के बाद भाई-बहन के बीच संपत्ति का था। डॉक्टर और उनकी परिवार इस फ्लैट में रहते हैं। उनके पास एक बेटा और दो बेटी हैं। बहनों ने दावा किया कि फ्लैट जॉइंट फैमिली फंड और माता-पिता की ओर से दिए गए लोन से यह खरीदा गया था।
गत वर्ष दोनों बहनों ने अपने भाई और बेटे के खिलाफ सूट दाखिल किया था। सुत्रो ने बताया कि उनके पिता की 2006 में और मां की 2019 में मृत्यु हो गई थी। डॉक्टर पिता ने मुंबई में बड़ी संपत्ति कमाई।
दोनों बहनों ने भाई पर ये आरोप लगाए-
याचिका में बहनों ने कहा कि उनके भाई ने 2002 में पिता की मृत्यु होते ही गुपचुप रूप से तीनों फ्लैट को अपने नाम पर करा लिया। उसके एक साल बाद उन संपत्ति को बिना किसी को बताए बेच भी दिया।
बहनों ने अपने वकील से मांग की कि उनके पिता की संपत्ति में से एक तिहाई हिस्सा को जॉइंट फैमिली संपत्ति घोषित किया जाए।
भाई ने अपने बयान में और केस के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से कहा कि उनकी दोनों बहनें आवश्यक तथ्यों को दबा रही हैं, इसलिए वे किसी भी राहत की हकदार नहीं हैं।
कोर्ट में भाई ने कहा-
भाई ने दलील देते हुए कहा कि उनके पिता की संपत्ति स्वयं अर्जित की गई संपत्ति थी और उनके लाड़-प्यार के कारण उनके पिता ने उन्हें तीनों फ्लैट गिफ्ट में दिए थे. बहनों ने कभी इन गिफ्टों को नहीं चैलेंज किया और इसलिए गिफ्ट में दिए गए फ्लैट की बिक्री के बाद अर्जित संपत्ति पर दावा नहीं कर सकतीं।
बकवास करते हुए, भाई ने कहा कि वह कुछ भी कर रहे हैं ठीक है; उन्होंने पूर्वी उपनगर में दो फ्लैट खरीदे हैं, जिनमें से एक उन्होंने अपने बेटे को गिफ्ट किया है, और इस फ्लैट पर उनकी बहनों के साथ उनका विवाद चल रहा है।
अंतरिम याचिका स्वीकार की गई—
नियमों के तहत पिता द्वारा बेटे को दी गई स्वयं अर्जित संपत्ति को पैतृक संपत्ति नहीं कहा जाता। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भाई-बहन के बीच संपत्ति विवाद पर ऐतिहासिक निर्णय दिया है।
डॉक्टर पिता की मृत्यु के बाद भाई-बहन के बीच संपत्ति को लेकर कई विवाद हुए। हालाँकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता बहनों की अंतरिम याचिका (interim petition) को आंशिक रूप से स्वीकार किया और आदेश दिया कि डॉक्टर भाई (71), एक पेशे से वकील, को कोर्ट की अनुमति के बिना फ्लैट को बेचने या थर्ड पार्टी अधिकारों को बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
हाई कोर्ट ने कहा-
यह मामला बोम्बे हाई कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने कहा कि कानून पिता को अधिकार देता है कि वह अपने उत्तराधिकारी को वैध गिफ्ट के तोर पर दें। कोर्ट ने कहा कि इस तरह गिफ्ट में दी गई संपत्ति जॉइंट फैमिली संपत्ति नहीं कहलाती।
कोर्ट ने कहा कि दो मुद्दे दोनों बहनों के हित में नहीं हैं। एक बात यह है कि बहनों को पैरंट्स की संपत्ति में समान हिस्सा मिल गया था जब वह बेची गई थी, और दूसरी बात यह है कि पारिवारिक सौदा करने की भी कोशिश की गई थी।
इस मामले में हाई कोर्ट ने भाई के बेटे के पिता को गिफ्ट में दिए गए फ्लैट पर यथास्थिति बनाए रखने की अनुमति दी।