Property: मकान मालिकों के लिए हाईकोर्ट का अहम फैसला, किरायेदारों को लगा झटका
Tenant Landlord Dispute: क्या किराएदार मकान मालिक की संपत्ति पर दावा कर सकता है? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक चौंकाने वाला फैसला सुनाया है, जिसमें साफ किया गया कि जरूरत पड़ने पर मालिक किराएदार से दुकान या मकान खाली करवा सकता है। जानिए मेरठ के इस विवाद में किसे मिला न्याय और किसकी याचिका हुई खारिज…

TheChopal: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किराए से जुड़ा एक अहम फैसला दिया है, जो मकान मालिकों के हक में है। कोर्ट ने कहा है कि मकान मालिक को अपनी संपत्ति का इस्तेमाल जैसे चाहे वैसे करने का कानूनी हक है। अगर कोई मकान किराए पर दिया गया है और बाद में मालिक को खुद उस मकान की जरूरत पड़ती है, तो वह किराएदार से मकान खाली करवा सकता है। यह फैसला साफ करता है कि मालिक को अपनी संपत्ति पर पूरा हक है और वह इसे अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है।
किराएदार को दुकान खाली करनी होगी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि किराएदार को अब दुकान खाली करनी होगी। यह आदेश कोर्ट के जज अजित कुमार ने मेरठ के जुल्फिकार अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया और उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
मेरठ के सीनियर सिटिजन जहांगीर आलम ने दिल्ली रोड पर अपनी तीन में से दो दुकानें जुल्फिकार अहमद को किराए पर दी थीं। वहीं, तीसरी दुकान में खुद मोटरसाइकिल की मरम्मत और स्पेयर पार्ट्स का काम करते थे। बाद में जहांगीर आलम ने अपने इस्तेमाल के लिए किराएदार जुल्फिकार को दुकान खाली करने का नोटिस भेजा। लेकिन जुल्फिकार ने दुकान खाली करने से इनकार कर दिया। मामला कोर्ट में पहुंचा, जहां अदालत ने जुल्फिकार को दुकान खाली करने का आदेश दिया। इसके खिलाफ जुल्फिकार ने अपील की, लेकिन वह भी खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट में क्या दलील दी गई?
जुल्फिकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि जहांगीर आलम के पास तीसरी दुकान पहले से मौजूद है, इसलिए वे वहीं से अपना काम चला सकते हैं। उन्होंने किरायेदारी कानून का हवाला देकर कहा कि किराएदार की परेशानी और हक को पहले देखा जाना चाहिए, और मकान मालिक को किराएदार के सुझाव पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना और साफ कहा कि मालिक को अपनी संपत्ति का उपयोग अपनी जरूरत के अनुसार करने का पूरा हक है।
कोर्ट ने जताई सहमति
कोर्ट में वकीलों ने कहा कि मकान मालिक को अपने काम के लिए अपनी तीनों दुकानों की जरूरत है। इसलिए उन्हें यह तय करने का पूरा हक है कि अपनी संपत्ति का कैसे इस्तेमाल करना है। किराएदार इसमें दखल नहीं दे सकता। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मकान मालिक को मजबूर नहीं किया जा सकता कि वह अपनी ही दुकान किराए पर लेकर काम करे। कोर्ट ने साफ कहा कि मकान मालिक को अपनी संपत्ति को लेकर फैसला लेने का अधिकार है और किराएदार को उस फैसले का पालन करना होगा। इसी के साथ कोर्ट ने जुल्फिकार की याचिका को खारिज कर दिया।