property rights : अब ऐसी प्रॉपर्टी को नहीं कहा जाएगा पैतृक, भाई-बहन के संपति झगड़े को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला
property rights : दैनिक रूप से संपत्ति विवादों के मामले कोर्ट में आते रहते हैं। माना जाता है कि भाई बहन का रिश्ता सबसे प्यारा होता है, लेकिन यह रिश्ता भी टूट जाता है जब संपत्ति बंटवारे की बात आती है। आज की खबर में हम आपको भाई बहन के संपत्ति विवाद पर हाई कोर्ट का फैसला बताने जा रहे हैं, जिसमें कहा गया कि अब ऐसी संपत्ति पैतृक संपत्ति नहीं मानी जाएगी। चलिए खबर में हाई कोर्ट की इस निर्णय की पूरी जानकारी प्राप्त करें।

The Chopal, property rights : देश भर में संपत्ति बंटवारे को लेकर कई नियम और कानून बनाए गए हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इसी कारण संपत्ति विवाद लगातार बढ़ रहे हैं।
यही कारण है कि आज की इस कड़ी में हम आपको हाई कोर्ट के उस फैसले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें भाई बहन के एक संपत्ति विवाद को हल किया गया था और कहा गया था कि ऐसी संपत्ति अब पैतृक संपत्ति नहीं मानी जाएगी।
पिता द्वारा बेटे को दी गई स्वयं अर्जित संपत्ति को पैतृक संपत्ति नहीं कहा जाएगा। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भाई-बहन के बीच संपत्ति विवाद की लड़ाई में यह निर्णय दिया।
डॉक्टर पिता की मृत्यु के बाद भाई-बहन में संपत्ति का विवाद था। हालाँकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता बहनों की अंतरिम याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए पेशे से डॉक्टर भाई (71) को कोर्ट की अनुमति के बिना फ्लैट बेचने या थर्ड पार्टी राइट्स बनाने का आदेश दिया है।
डॉक्टर और उनका परिवार इस फ्लैट में रहते हैं। बहनों का कहना है कि यह फ्लैट जॉइंट फैमिली फंड और माता-पिता से लिए गए लोन से खरीदा गया था (loan news)। पिछले साल दोनों बहनों ने भाई और उनके बेटे के खिलाफ सूट पहना था। 2006 में उनके पिता का निधन हुआ, जबकि 2019 में उनकी मां का निधन हुआ। पिता ने मुंबई में बहुत सारी संपत्ति अर्जित की थी।
बहनों ने बहन पर आरोप लगाया
बहनों का दावा है कि 2002 में पिता के जीवित रहते ही भाई ने गुपचुप और दुर्भावनापूर्ण इरादों से तीनों फ्लैट का नामकरण कर लिया था। इसके एक साल बाद, बिना किसी को सूचित किए उन्हें बेचने का नियम भी लागू किया।
बहनों ने अपने वकील प्रमोद भोसले से मांग की है कि संपत्ति को जॉइंट फैमिली प्रॉपर्टी (joint family property) घोषित किया जाए, जिसमें उनका भी एक तिहाई हिस्सा शामिल है। वहीं, भाई ने अपने वकील विश्वनाथ पाटिल से कहा कि बहनें आवश्यक तथ्यों को दबा रही हैं, इसलिए वे किसी भी राहत की हकदार नहीं हैं।
न्यायालय में भाई की दलील
भाई ने कहा कि उनके पिता के पास स्वयं अर्जित संपत्ति थी और प्यार से तीन फ्लैट उन्हें गिफ्ट किए थे. बहनों ने कभी चैलेंज नहीं किया, इसलिए उपहार में दिए गए फ्लैट की बिक्री के बाद स्वयं अर्जित संपत्ति का दावा भी नहीं कर सकतीं।
भाई ने बताया कि वह अच्छा कर रहे हैं और पूर्वी उपनगर में दो फ्लैट खरीदे हैं, जिनमें से एक उन्होंने अपने बेटे को गिफ्ट किया है, और इसी मुद्दे पर उनकी बहनों के साथ बहस होती है।
हाई कोर्ट की टिप्पणी
न्यायालय ने कहा कि कानून एक पिता की कानूनी क्षमता को मान्यता देता है कि वह अपने उत्तराधिकारी को स्वयं अर्जित संपत्ति का वैध उपहार दे सकता है। इस तरह गिफ्ट में दी गई संपत्ति जॉइंट फैमिली संपत्ति नहीं है। '
कोर्ट ने कहा कि दो मुद्दे ऐसे हैं जिनके चलते बहनों के पक्ष में प्रथम दृष्टया फैसला नहीं जाता है (court decision)। पहला था जब पैरंट्स की संपत्ति बेची गई थी, जिसका शेयर बहनों को भी मिला था; दूसरा था कि पारिवारिक समझौते की भी कोशिश की गई थी। हाई कोर्ट ने भाई के बेटे के पिता को गिफ्ट फ्लैट पर यथास्थिति बनाए रखने की अनुमति दी।