Rajasthan News : राजस्थान की हैरिटेज शराब, 250 साल पुराना है इतिहास
Maharani Mahansar Shahi Gulab: यह शराब राजस्थान के शाही परिवारों से जुड़ी हुई है। राजा-महाराजा इसे पीते थे। इसका स्वाद भी बेहतरीन है। आम बोलचाल में इसे दादा-परदादा की शराब कहते हैं।

Maharani Mahansar Shahi Gulab: हिंदुस्तान में शराब पीने और पिलाने को शाही या राजसी शौक कहते हैं। ‘महारानी महनसर शाही गुलाब’ इसका ही एक उदाहरण है। इसे राजस्थान की शाही शराब कहा जाता है। यह शराब राजस्थान के शाही परिवारों से जुड़ी हुई है। राजा-महाराजा इसे पीते थे। इसका स्वाद भी बेहतरीन है। आम बोलचाल में इसे दादा-परदादा की शराब कहते हैं। राजस्थान में, "महारानी महनसर शाही गुलाब" को हैरिटेज शराब का दर्जा दिया गया है।
250 साल पुराना इतिहास
18वीं सदी है। उस समय राजस्थान में राजा-महाराजा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए विभिन्न तरह की शराब बनाते थे। इनमें से एक था शेखावटी के महनसर राजघराने का राजा करणी सिंह। Karan Singh ने ऋषियों से बातचीत करके जड़ी बूटियों का उपयोग करके लगभग पच्चीस शराबों का फॉर्म्यूला बनाया। 1768 में महनसर किला बनाया गया था। इसी शराब को वहाँ लोग पीते थे, लेकिन पहले इसे "रजवाड़ी दारू" कहा जाता था। यह शराब अक्सर किले में पी जाती थी। इसे बाद में "महारानी महनसर शाही गुलाब" कहा गया।
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कैसे तैयार होती है महारानी शाही गुलाब
Maharani Maharani एक ग्रेन बेस्ड शराब है। इसमें डमास्क गुलाब का प्रयोग किया जाता है। गुलाब, जो इसमें प्रयोग होता है, अजमेर जिले के पुष्कर से आता है। क्योंकि वहाँ सर्वश्रेष्ठ डमास्क गुलाब मिलते हैं गुलाब सुबह तोड़कर शाम तक तैयार रहते हैं। इसके बाद फर्मेंटेशन होता है। फर्मेंटेशन का समय लगभग पांच से पंद्रह दिनों तक चलता है। इस समय ड्राई फ्रूट्स और कई तरह के मसालों को भिगोया जाता है। उसे फिर एक विशिष्ट प्रकार के कॉपर के बर्तन में तीन बार डिस्टिल किया जाता है। तैयार होने पर इस शाही शराब का विशिष्ट रंग चमक उठता है। यह गुलाबी रंग का है।
1998 में आया हैरिटेज शराब बिल
आजादी के बाद सरकार ने हैरिटेज शराब पर प्रतिबंध लगाया 1997 तक प्रतिबंध था। फिर 1998 में राजस्थान सरकार ने हैरिटेज शराब बिल को फिर से लागू किया, ताकि भारत की ऐतिहासिक शराब उत्पादन प्रथा को बचाया जा सके। राजेंद्र सिंह शेखावत ने शेखावटी हेरिटेज हर्बल प्राइवेट लिमिटेड को 2003 में स्थापित किया था। 2016 में राजस्थान के एक्साइज डिपार्टमेंट ने शेखावटी हेरिटेज हर्बल प्राइवेट लिमिटेड को महनसर से लगभग 60 किलोमीटर दूर चूरू जिले में कॉपर से निर्मित हेरिटेज शराब बनाने की यूनिट बनाने की अनुमति दी, जो हेरिटेज शराब को लोगों तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया। उसके बाद से हेरिटेज शराब दोबारा ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सप्लाई होने लगी.
पांच तरह के हैं फ्लेवर
मार्केट में महारानी महनसर के पांच स्वाद हैं, जिनमें मिंट और सोमरस शामिल हैं। लेकिन शाही गुलाब स्वाद अधिक लोकप्रिय है। "महारानी महनसर शाही गुलाब" एक महंगी शराब नहीं है। राजस्थान में 750 मिलीलीटर की बोतल लगभग 1000 से 1200 रुपये में मिलती है। दूसरे राज्यों में कुछ परिवर्तन हो सकते हैं।
राजस्थान सरकार इस पर काफी सब्सिडी देती है, इसलिए इसका मूल्य कम है। वह भी एक्साइज ड्यूटी नहीं लगाती है। इस शाही पेय को बचाने के लिए याद रखें कि इसमें 35.7% अल्कोहल होता है, इसलिए इसे दूसरी तरह से नहीं पीया जाता। गिलास में सिर्फ 30 मिलीग्राम डालने से पूरी जगह गुलाब की महक से भर जाएगी। यह पेय शरबत का स्वाद देता है।
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