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Supreme Court Decision : शादी शुदा बेटी का पिता की प्रॉपर्टी में कितना हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

Supreme Court :विभिन्न देशों में संपत्ति विवाद (property dispute) के लाखों केस अदालतों में पेंडिंग हैं। आप भी कोई न कोई संपत्ति विवाद होगा। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं बेटियों के संपत्ति में अधिकारों की। वास्तव में, 10 प्रतिशत बेटियों को संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता है।

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Supreme Court Decision : शादी शुदा बेटी का पिता की प्रॉपर्टी में कितना हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश 

The Chopal, Supreme Court : पुरुष प्रधान देशों में बेटियाँ पराई घर की तरह देखी जाती हैं। भारत में आज भी बेटियों को संपत्ति का बंटवारा (property division) करते समय नहीं रखा जाता है। दूसरी ओर, बेटियां अगर हिस्सा लेना चाहें भी तो उनकी जागरुकता कम होने से वे खुद भी अपनी बात कह नहीं पाती हैं। 

इसलिए लड़कियों को अपने संपत्ति अधिकारों (property rights) के बारे में कानूनी रूप से जानकारी होनी चाहिए। फिर भी, देश का संविधान बेटियों को संपत्ति में कितना अधिकार देता है और कब बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता है। इसमें कहीं भी कोई भ्रम की स्थिति नहीं है; इसलिए, आइए जानते हैं कि कानून क्या कहता है और बेटियों का पिता की संपत्ति में कितना हिस्सा होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया

महिलाओं के हित में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। अदालत ने कहा कि बेटी का बेटे पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर ही हक है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि पिता की संपत्ति में बराबर का हक है। 
शीर्ष अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट किया कि बेटियों को हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005, लागू होने से पहले ही समान अधिकार मिलेगा।

ये प्रोपर्टी से जुड़ा हुआ कानून है

2005 में हिंदू अधिनियम 1956 में संशोधन किया गया, जो बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सा पाने का अधिकार देता है।  1956 में प्रोपर्टी पर दावे और अधिकारों के लिए यह कानून बनाया गया था। इस कानून के अनुसार, बेटी (बेटी का अधिकार संपत्ति पर) का उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का है।

2005 में पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकारों पर किसी भी तरह का संशय खत्म करते हुए उत्तराधिकार कानून ने बेटियों के अधिकारों को मजबूत किया। 

जानें, जब बेटियों को भाग नहीं मिलता 

जबकि स्वअर्जित संपत्ति (Self Acquired Property) के मामले में बेटी कमजोर होती है। यदि पिता ने अपने पैसे से संपत्ति खरीदी है तो वह इसे किसी को भी दे सकता है। पिता को अपनी मर्जी से किसी को भी अपनी संपत्ति देने का कानूनी अधिकार है। 

पिता चाहे तो पूरी संपत्ति औलाद को दे सकता है। मतलब, बेटी को अपनी संपत्ति में हिस्सा देने से मना करने पर कोई अधिकार नहीं है।