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Supreme Court Decision : मात्र पैसे देने और कब्जा लेने से नहीं होंगे प्रॉपर्टी के हकदार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया गजब फैसला

Property Rights : जब लोग संपत्ति खरीदते हैं, तो वे उस पर कब्जा (property ownership) ले लेते हैं और पैसे देकर खुद को सुरक्षित महसूस करने लगते हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि केवल संपत्ति का भुगतान और अधिग्रहण करने से कोई मालिक (landlord) नहीं बनता।  इस फैसले के बाद सबसे आम सवाल है कि मालिकाना हक कैसे मिलेगा? आइए जानते हैं।

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supreme court decision : मात्र पैसे देने और कब्जा लेने से नहीं होंगे प्रॉपर्टी के हकदार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया गजब फैसला 

The Chopal, Property Rights : आज प्रोपर्टी खरीदना एक मुश्किल काम है।  कई बार लोग संपत्ति का भुगतान करके उसमें रहने लगते हैं और उसके बाद संपत्ति को लेकर मूल्यों पर ध्यान नहीं देते।  सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property rights) ने एक मामले में फैसला सुनाया कि कब्जा (property possession rules) लेने या भुगतान करने से कोई संपत्ति मालिक नहीं बनता; इसके बजाय, ऐसा करना और भी जरूरी होता है, जिसे नहीं करने पर संपत्ति गवां दी जा सकती है।  हर प्रोपर्टी खरीददार (property buying rules) को कोर्ट के इस फैसले का पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है। 

 कानून में यह प्रावधान है:

 कोर्ट ने कहा कि 100 रुपये या उससे अधिक कीमत वाली संपत्ति की बिक्री केवल रजिस्टर्ड दस्तावेज (property registration rules) से ही वैध मानी जाएगी।  इसके लिए पहले सेल डीड और फिर उसे रजिस्टर करना होगा।  उसके बाद ही संपत्ति का मालिकाना हक ट्रांसफर किया जा सकेगा।  सेल डीड का रजिस्ट्रेशन न होने तक मालिकाना हक या प्रोपर्टी ट्रांसफर की शर्तें लागू नहीं हो सकतीं। 

 प्रॉपर्टी एक्ट के हस्तांतरण का हवाला—

 मालिकाना हक (property owner's rights) केवल कब्जा लेना और भुगतान करना नहीं है।  शीर्ष अदालत की पीठ ने निर्णय दिया कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 54 के अनुसार रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट्स, या संपत्ति के दस्तावेजों, ही अचल संपत्ति को दे सकते हैं।

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि

 नीलामी खरीदार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जो एक प्रोपर्टी विवाद से जुड़ा हुआ है।  कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का रजिस्ट्रेशन किए बिना किसी को मालिकाना हक नहीं मिलेगा; दूसरे शब्दों में, संपत्ति को ट्रांसफर ही नहीं किया जा सकता।  सर्वोच्च न्यायालय की यह निर्णय प्रॉपर्टी डीलरों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पाठ है।

 अक्सर बिचौलिये वसीयत (property will) और पावर ऑफ अटॉर्नी (power of attorney) के माध्यम से संपत्ति खरीद-बेच करते हैं, जिससे कई कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन होता है।  आगे की आगे की पेमेंट और कब्जे के माध्यम से संपत्ति को हस्तांतरित करना ही उनका काम था, जो बिना संपत्ति रजिस्ट्रेशन के हुआ था।  अब इसे नियंत्रित किया जा सकेगा।

 निजी संपत्ति पर पुनर्विचार का निर्णय— 

 कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति के अधिग्रहण पर भी महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था।  कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार किसी निजी संपत्ति को बिना किसी स्पष्ट कारण के अधिग्रहित नहीं कर सकती है।  सामुदायिक हित को लेकर सरकार को सूचित करना होगा।  सरकारी निजी संपत्ति अधिग्रहण नियम कुछ ही हैं।  यह फैसला सुनाते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने 1978 की अपील को पूरी तरह से पलट दिया था।