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Tenants Rights : किराएदारों के लिए ये 5 कानूनी अधिकार होंगे वरदान साबित, मकान मालिक नहीं फटकेगा आस-पास

Tenancy law : अक्सर लोगों को किसी न किसी कारण से किराए पर रहना पड़ता है। किराएदार और मकान मालिक (घर मालिक और किराएदार) अक्सर किसी बात पर बहस करते हैं। ज्यादातर मामलों में, मकान मालिक की इच्छाशक्ति ही सामने आती है। ऐसे में, कानून ने किरायेदारों को पांच विशिष्ट अधिकार दिए हैं. अब मकान मालिक अपनी इच्छा से कुछ नहीं कर सकेगा। इन अधिकारों के बारे में खबर पढ़ें।

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Tenants Rights : किराएदारों के लिए ये 5 कानूनी अधिकार होंगे वरदान साबित, मकान मालिक नहीं फटकेगा आस-पास 

The Chopal, Tenancy law : किराएदारी कानून किराएदारों के अधिकारों को मजबूत करता है। इससे मकान मालिकों पर भी नियंत्रण लगता है। किराएदार इन अधिकारों की जानकारी लेकर कहीं भी आराम से रह सकता है और मकान मालिक (मकान मालिक) से विवाद करने से बच सकता है।

मकान मालिक अक्सर किराएदार पर किराया लेने के लिए दबाव डालता है। ऐसे में मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए इन अधिकारों (property rights) को जानना बेहद महत्वपूर्ण है।

पहले किराया नियंत्रण अधिनियम के बारे में जानें—

1948 में बनाए गए केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम का उद्देश्य था जमींदार और किराएदार के अधिकारों का बचाव करना। एक दूसरे का कभी शोषण नहीं करना चाहिए। इस कानून में संपत्ति को किराए पर देने के नियम बताए गए हैं। वैसे, हर राज्य का किराया नियंत्रण अधिनियम थोड़ा अलग है। राज्य के कानूनों का भी विचार करें।

1. किराया समझौता है किराएदार का अधिकार 

किराया नियंत्रण अधिनियम (Rent Control Act) में बताए गए नियमों के अनुसार, किराए पर कमरा लेते समय मकान मालिक से लिखित व हस्ताक्षर सहित समझौता पत्र (रेंट एग्रीमेंट) लें ताकि भविष्य में विवाद होने पर प्रूफ रहे और मामले का निपटारा करने में आसानी रहे। पीड़ित इसी आधार पर शिकायत कर सकता है अगर आवश्यक हो। किराएदार और मकान मालिक दोनों को रेंट एग्रीमेंट के नियमों का पालन करना चाहिए।

2. मकान मालिक अचानक घर से बाहर नहीं जा सकता:

किराएदार को बेवजह घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। इसके लिए उसे स्पष्ट बहाना चाहिए। बिना किसी ठोस कारण के कमरे से बाहर जाना कानूनी रूप से गैरकानूनी है।

यदि किराएदार दो महीने से किराया नहीं देता है, तो संपत्ति में गैर कानूनी या कमर्शियल काम करता है या संपत्ति (property rights) को नुकसान पहुंचाता है, तो मकान मालिक उसे कमरे से बाहर निकाल सकता है। किराएदार को घर से निकालने के लिए मकान मालिक को 15 दिन का नोटिस मिलना चाहिए (Notice Rules for Tenant)।

3. किराएदार के मूलभूत अधिकार

किराएदार को बिजली, पानी और पार्किंग जैसे मूलभूत सुविधाएं मालिक की ओर से दी जानी चाहिए। इन सुविधाओं को घर मालिक मना नहीं कर सकता। अगर मकान मालिक मना करता है, तो कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित प्राधिकारी को शिकायत की जा सकती है।

किराया सहित किसी भी तरह का समझौता होने के बाद, मकान मालिक किराएदार की निजता को भंग नहीं कर सकता। वह बार-बार कमरे में घुसकर किराएदार को परेशान नहीं कर सकता। किराएदार के कमरे में भी जाने के लिए मकान मालिक से अनुमति लेनी होगी।

4. किराया बढ़ाने पर देना होगा नोटिस: 

किराया बढ़ाना चाहते हैं तो मकान मालिक (mkan malik ke adhikar) को किराएदार को सूचित करना होगा। यह तीन महीने पहले दिया जाना चाहिए, अन्यथा मकान मालिक मनमाना किराया नहीं वसूल सकता। Room rent rules, या मार्केट रेट के हिसाब से किराया तय किया जाना चाहिए, फिर संपत्ति के मूल्य में गिरावट को जोड़कर किराएदार से किराया लेना चाहिए।

किराएदार परिवार के साथ रहता है और उनकी अचानक मौत हो जाए तो मकान मालिक उन्हें घर से बाहर नहीं निकाल सकता। इस स्थिति में, मकान मालिक पहले के एग्रीमेंट से बची हुई अवधि के लिए नया एग्रीमेंट कर सकता है।

5. मकान का रखरखाव करना:

किराए पर रहने के दौरान मकान या कमरे को किराए पर किराएदार को दिया गया है, उसके रखरखाव का खर्च मकान मालिक को उठाना पड़ता है।लेकिन मकान मालिक इसके बारे में किराएदार से बात करके समझौता कर सकते हैं।

मकान मालिक अक्सर किराएदार (किराएदार की अधिकारी) से सिक्योरिटी पैसे जमा कराने की मांग करते हैं। बाद में मकान मालिक इसे वापस करेगा। किराएदार घर छोड़ने के एक महीने बाद वापस करना चाहिए।