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राजस्थान में 294 गावों से होकर निकलेगा 110 किलोमीटर लंबा रिंग रोड, इन तहसीलों से ली जाएगी जमीन

Rajasthan News: राजस्थान के 294 गांवों के अच्छे दिन आने वाले हैं। राजस्थान में नॉर्दर्न रिंग रोड का निर्माण से शहर के अंदर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। आसपास के क्षेत्रों में नए उद्योग और व्यापार के अवसर बढ़ेंगे। आर्थिक प्रगति – स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार सृजित होंगे। कृषि और लॉजिस्टिक्स को फायदा – किसानों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी।

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राजस्थान में 294 गावों से होकर निकलेगा 110 किलोमीटर लंबा रिंग रोड, इन तहसीलों से ली जाएगी जमीन

Rajasthan Northern Ring Road : राजस्थान में नॉर्दर्न रिंग रोड का निर्माण तेजी से शुरू हुआ है। इस रिंग रोड का निर्माण करने के लिए 110 किलोमीटर की दूरी पर 294 गांवों को नामांकित किया गया है। सरकार इस परियोजना पर 6500 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

राजस्थान राज्य सरकार लगातार ट्रैफिक सुविधाओं में सुधार करने की कोशिश कर रही है। आने वाले समय में राज्य में ट्रैफिक व्यवस्था काफी बदल जाएगी। इसके लिए सरकार रिंग रोड और एक्सप्रेस वे हाईवे बना रही है। इन्हीं में से एक 110 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है। यह राजमार्ग राज्य के 294 गांवों को नक्शा बदल कर रख देगा। निर्माण होने के बाद राज्य की आर्थिक वृद्धि, रोजगार पैदा करने और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।

वास्तव में, राजस्थान के जयपुर में आगरा रोड से दिल्ली बाइपास तक एक रिंग रोड का निर्माण जल्द ही शुरू होगा। इस रिंग रोड का एलानमेंट पूरा हो गया है और जल्द ही डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जाएगी। डीपीआर तैयार होने के बाद संभवतः जल्द ही जमीन अवाप्ति का कार्य शुरू किया जाएगा।

नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) अब इस प्रोजेक्ट को दिल्ली बाइपास चौंप से भी आगे अजमेर बाइपास तक बनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए डीपीआर का काम दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत 294 गांवों को चिह्नित किया है, जिनकी जमीन अवाप्ति की जाएगी। उम्मीद है कि कागजी प्रक्रिया शुरू होने के बाद दो से तीन महीने में जमीन का अधिग्रहण होगा। मौके पर काम आगे बढ़ता जाएगा।

NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अजय आर्य ने कहा कि अजमेर बाइपास तक नॉर्दन रिंग रोड को बनाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि जयपुर की शहरी सीमा से भारी वाहनों की आवाजाही को भविष्य में कम किया जा सके। जयपुर की बढ़ती आबादी और कॉलोनियों के बीच से हैवी ट्रैफिक गुजरने से आम लोग और जनप्रतिनिधि परेशान हैं।

इन तहसीलों से जमीन ली जाएगी

NHAI ने नॉर्दन रिंग रोड के नए परियोजना के तहत सांगानेर तहसील के 32 गांव, फुलेरा तहसील के 21, मौजमाबाद तहसील के 12, किशनगढ़-रेनवाल तहसील के 4, कालवाड़ तहसील के 12, जमवारामगढ़ तहसील के 60, जयपुर तहसील के 36, चौंमू तहसील के 14, बस्सी तहसील के 13 और आमेर तहसील के 90 गांवों को सूचीबद्ध NHAI ने इस जमीन की खसरावार रिपोर्ट जिला कलेक्टर से मांगी है।

इस तरह लंबाई और चौड़ाई होगी

NHAI अधिकारियों ने कहा कि इस रिंग रोड योजना के कार्यान्वयन के दौरान सड़क 110 किलोमीटर से भी अधिक होगी। ये कॉरिडोर बगराना रोड पर बगराना से दिल्ली रोड पर अचरोल तक लगभग 45 किलोमीटर में बनाया जाएगा। 90 मीटर चौड़ाई का ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर छह लेन का होगा।

90 मीटर के कॉरिडोर का निर्माण NHAI खुद करेगा, जबकि जेडीए 145-145 मीटर में प्रस्तावित विकास कॉरिडोर के दोनों ओर काम करेगा। इसके लिए जमीन का निस्तारण जेडीए ही करेगा। जयपुर में नॉर्दन रिंग रोड बनने से शहर के ट्रेफिक को सबसे अधिक फायदा होगा।

वर्तमान में, आगरा रोड से दिल्ली रोड और दिल्ली रोड से आगरा रोड तक जाना-जाना वाला ट्रेफिक जयपुर में घाट की गूणी, ट्रांसपोर्ट नगर, रामगढ़ मोड और कुकस से गुजरता है। इसलिए दिल्ली बाइपास पर ट्रेफिक का अधिक दबाव जयपुर ट्रांसपोर्ट नगर पर रहता है। रिंग रोड बनने के बाद अरावली की पहाड़ियों के आसपास से ये ट्रेफिक चलने लगेंगे।