The Chopal

चेक बाउंस के मामले को लेकर Supreme Court ने दिया अहम फैसला, जिम्मेदारी हुई डिसाइड

Supreme Court Decision on Cheque Bounce : चेक के माध्यम से लेन-देन आज भी कम हुआ है। हर कोई कभी-कभी चेक का उपयोग करता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो। आप चेक से आसानी से भुगतान कर सकते हैं। लेकिन कुछ नियम हैं। भारत में चेक बाउंस, या चेक बाउंस, हो सकता है अगर आप एक छोटी सी गलती करते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। आइए जानें कि चेक बाउंस पर कौन जिम्मेदार होगा। 

   Follow Us On   follow Us on
चेक बाउंस के मामले को लेकर Supreme Court ने दिया अहम फैसला, जिम्मेदारी हुई डिसाइड 

The Chopal, Supreme Court Decision on Cheque Bounce : आज सब कुछ डिजिटल हो गया है। अब भुगतान भी ऑनलाइन किया जाता है। अब अधिकांश लोगों ने अपने साथ पैसे लेना बहुत कम कर दिया है। लेकिन, हालांकि अधिकांश लोग ऑनलाइन पैसे लेना पसंद करते हैं, चेक का उपयोग अभी भी कम नहीं हुआ है। आज भी कई कार्यों में चेक से भुगतान करना अनिवार्य है।

ज्यादातर लोग चेक का ही उपयोग करते हैं, खासकर बड़े भुगतान। लेकिन जब कुछ गलतियाँ होती हैं, तो चेक अक्सर बाउंस हो जाता है। चेक बाउंस होने का अर्थ है कि पैसा नहीं मिल सका। अब चेक बाउंस होने पर बैंक पेनल्टी वसूलेगा। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चेक बाउंस पेनाल्टी (cheque bounce penalty) प्रत्येक बैंक में अलग-अलग होती है। कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में आप पर मुकदमा चलाया जा सकता है और आपको जेल तक की हवा खानी पड़ सकती है। पहले बताओ किन कारणों से चेक बाउंस होता है, कितना जुर्माना वसूला जाता है और मुकदमे की जरूरत कब आती है।  

इन कारणों से चेक बाउंस हो सकता है

चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद होना, अकाउंट में बैलेंस न होना, सिग् नेचर मैच न होना, शब्दों में गलती होना, चेक नंबर में गलती होना, चेक पर कंपनी की मुहर न होना आदि। राष्ट्रीय सर्वोच्च न्यायालय ने चेक बाउंस के मामले पर निर्णय दिया है कि भले ही किसी ने बैंक चेक में जानकारी भर दी हो, चेक पर दस्तखत करने वाला व्यक्ति जिम्मेदार होगा। यह सुप्रीम कोर्ट की बेंच (जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना) ने चेक बाउंस केस में एक अपील को मंजूरी देते हुए बताया है।

कोर्ट ने इस मामले में कहा कि चेक पर साइन करने वाले ने हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर डिटेल चेक नहीं भरा था, लेकिन चेक पर साइन करने की ज़िम्मेदारी से मुकरा नहीं जा सकता है। 

क्या मामला है? 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस केस में आरोपी ने हस्ताक्षर करने के बाद एक ब्लैंक चेक दिया होना स्वीकार किया गया था (चेक bounce के कारण), और दिल्ली हाईकोर्ट ने हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को सेवाएं लेने की अनुमति दी थी ताकि जांच की जा सके कि हस्ताक्षर की जानकारी हस्तलिपि में थी या नहीं। चेक भरने और साइन करने वाले या तो एक थे या नहीं (भारत में चेक साइनिंग नियम) 

क्या निर्णय हुआ?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक चेक पर दस्तखत करने वाले या चेक को किसी दूसरे व्यक्ति को देने वाले व्यक्ति को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा, जब तक यह साबित नहीं होता कि चेक किसी ऋण या ज़िम्मेदारी के भुगतान के लिए जारी किया गया था। यह चेक की जानकारी "साइन करने वाले की हस्तलिपि में है या नहीं" से कोई फर्क नहीं पड़ता।

News Hub