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Supreme Court ने सुझाया आसान तरीका, अब कोर्ट के चक्कर काटे बिना छूट जाएगा प्रॉपर्टी से कब्जा

Supreme Court Decision :Property Hold से जुड़े हर दिन नए नए मामले सामने आते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट  ने एक आसान तरीका बताया है जो आपके काम आ सकता है, अगर किसी ने आपकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है और आप कोर्ट के चक्कर नहीं काटना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस विशिष्ट प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी पढ़ें।

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Supreme Court ने सुझाया आसान तरीका, अब कोर्ट के चक्कर काटे बिना छूट जाएगा प्रॉपर्टी से कब्जा 

The Chopal, Supreme Court Decision : आजकल प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के चलते प्रॉपर्टी पर कब्जे के मामलों में भी तेजी से उछाल देखने को मिल रहा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में संपत्ति पर कब्जा से जुड़े एक मामले पर फैसला सुनाते हुए बताया कि अब आप संपत्ति से अपना कब्जा बिना कोर्ट जाएं कैसे छुड़वा सकते हैं।

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के तहत प्रॉपर्टी से गैर कानूनी कब्जा (unlawful occupation of property) खाली कराने का अधिकार है। प्रॉपर्टी विवाद में एक पक्ष को स्टे देना चाहिए, ताकि दूसरा पक्ष उस पर निर्माण या बेच न सके।

यदि किसी ने आपके घर या जमीन पर कब्जा कर लिया है, तो आप बिना कोर्ट जाए इसे रिहा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में निर्णय लिया है।

पूनाराम बनाम मोती राम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति गैर कानूनी रूप से किसी दूसरे की संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता है। जब कोई किसी दूसरे की संपत्ति पर ऐसा कब्जा कर लेता है, तो पीड़ित पक्ष बलपूर्वक अपनी संपत्ति को वापस कर सकता है। इसके बावजूद, इसके लिए आप उस संपत्ति का मालिक होना चाहिए और आपके नाम और संपत्ति का टाइटल आपके पास होना चाहिए।

पूना राम बनाम मोती राम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपके पास संपत्ति का टाइटल है, तो आप 12 साल बाद भी बलपूर्वक अपनी संपत्ति से कब्जा खाली करा सकते हैं। इसके लिए कोर्ट में मुकदमा नहीं करना होगा।

आपको कोर्ट में केस करना होगा अगर आपके पास संपत्ति नहीं है और इसे 12 साल हो चुके हैं। स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963, ऐसे मामलों पर कानूनी कार्रवाई के लिए बनाया गया है।

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के तहत प्रॉपर्टी से गैर कानूनी कब्जा (unlawful occupation of property) खाली कराने का अधिकार है। वास्तव में, संपत्ति के विवाद में पहले स्टे लेना चाहिए, ताकि अधिग्रहणकर्ता उस पर निर्माण न कर सके और न ही उसको बेच सके।

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के अनुसार, अगर आपके नाम या उस प्रॉपर्टी (property news) का मालिक हो और किसी ने उसे गैर कानूनी तरीके से कब्जा कर लिया है, तो आपको सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के तहत मुकदमा दायर करना होगा।

यह पूना राम बनाम मोती राम का मामला था. 1966 में, राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर में रहने वाले पूना राम ने एक जागीरदार से कई जगह जमीन खरीदी थी। जब मालिकाना हक की बात आई, तो पता चला कि मोती राम नामक व्यक्ति उस जमीन पर मालिक है।

मोती राम के पास जमीन के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे। बाद में पूना राम ने जमीन पर कब्जा करने के लिए न्यायालय में मामला दर्ज किया। मामले में ट्रायल कोर्ट ने पूना राम का पक्ष लिया और मोती राम को जेल से निकालने का आदेश दिया।

बाद में मोती राम ने मामले की अपील राजस्थान हाईकोर्ट में की। इस मामले में सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की निर्णय को पलट दिया और मोती राम को फिर से गिरफ्तार कर लिया।

बाद में पूना राम ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि जमीन का मालिक बलपूर्वक इसे छोड़ सकता है।

इस मामले में मोती राम ने कहा कि वह उस जमीन पर 12 साल से अधिक समय से है। लिमिटेशन अधिनियम की धारा 64 के अनुसार, जमीन पर 12 साल से अधिक समय से निवास करने वाले व्यक्ति को खाली नहीं कराया जा सकता है।

मोती राम की इस दलील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह कानून उन मामलों में लागू होता है, जिनमें जमीन का कोई मालिक नहीं है; हालांकि, जिस जमीन का मालिक है और उसके पास टाइटल है, वह 12 साल बाद भी बलपूर्वक खाली कराया जा सकता है।