The Chopal

90 दिनों में तैयार होगी आलू की यह बायोफोर्टिफाइड किस्म, मिलेगा शानदार उत्पादन

खेत की जुताई के दौरान हर हेक्टेयर में 15 से 30 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए। रासायनिक खादों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वराशक्ति, फसल चक्र और प्रजाति पर निर्भर करता है। आलू की फसल को बेहतर बनाने के लिए प्रति हेक्टेयर 60-80 किलो फॉस्फोरस, 80-100 किलो पोटाश और 150 से 180 किलो नाइट्रोजन का उपयोग करें।

   Follow Us On   follow Us on
90 दिनों में तैयार होगी आलू की यह बायोफोर्टिफाइड किस्म, मिलेगा शानदार उत्पादन 

The Chhopal, Agriculture News : हमारे खाने में आलू अनिवार्य है। इसके बिना भोजन व्यर्थ है। यह हमारे भोजन में कई रूपों में शामिल है, इसलिए इसकी मांग हमेशा रहती है। यह उपज कभी बेकार नहीं जाती, इसलिए किसान भी इसकी खेती पर अधिक जोर देते हैं। उपज हर समय बिकती है। इसकी कीमत अब भी अच्छी है क्योंकि कुछ राज्यों में इसकी कमी बताई जाती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, किसानों को कुफरी जामुनिया या बायोफोर्टिफाइड आलू की खेती करनी चाहिए अगर वे अधिक आलू की कमाई चाहते हैं।

कुफरी जामुनिया एक नई प्रजाति है जो मध्यम और अधिक उत्पादन देती है। यह बुवाई से कटाई तक लगभग 90 दिनों में तैयार हो जाता है। 320 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी औसत उपज है। यह प्रजाति जीवित है। ICAR की खेती पत्रिका में प्रकाशित जानकारी के अनुसार, कुफरी जामुनिया किस्म में अधिक पोषक तत्व हैं। कुफरी जामुनिया में अधिक एंथोसायनिन होता है, जो जीवंत बैंगनी गूदे में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट हैं।

खेत की जुताई के दौरान हर हेक्टेयर में 15 से 30 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए। रासायनिक खादों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वराशक्ति, फसल चक्र और प्रजाति पर निर्भर करता है। आलू की फसल को बेहतर बनाने के लिए प्रति हेक्टेयर 60-80 किलो फॉस्फोरस, 80-100 किलो पोटाश और 150 से 180 किलो नाइट्रोजन का उपयोग करें।

बुवाई के समय ही खेत में फॉस्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन की आधी मात्रा डालनी चाहिए। बचा हुआ नाइट्रोजन खेत की मिट्टी में डाला जाता है। एक हेक्टेयर में आलू की बुवाई के लिए लगभग २५ से ३० क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। खेत में उर्वरकों का उपयोग करने के बाद, ऊपरी सतह को खोदकर बीज डालें, फिर भुरभुरी मिट्टी से उसे ढक दें। पंक्तियों से पौधों की दूरी 50 से 60 सेमी और पौधों से पौधों की दूरी 15 से 20 सेमी होनी चाहिए।

आलू को काली रूसी (ब्लैक स्कर्फ) और अन्य मृदाजनित और कंदजनित रोगों से बचाना महत्वपूर्ण है। इसके लिए किसानों को 30 से 30 मिनट तक घोल में 3 प्रतिशत बोरिक अम्ल डालकर उपचारित करना चाहिए। बुवाई से पहले इसे आलुओं पर डालें। अब छायादार स्थान पर सुखाकर बुवाई करें। एक बार बनाया गया घोल दो दशक तक प्रयोग किया जा सकता है।