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इस साल गर्मी ने निकाला पसीना, टूटा 143 वर्ष का रिकॉर्ड, नासा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

आपको बता दे की 2023 सबसे गर्म वर्ष था। उसने 143 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह खोज नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑप स्पेस स्टडीज (GISS) से हुई है।
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This year's heat made us sweat, 143 year old record broken, revealed in NASA report

The Chopal - आपको बता दे की 2023 सबसे गर्म वर्ष था। उसने 143 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह खोज नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑप स्पेस स्टडीज (GISS) से हुई है। इस वर्ष जून, जुलाई और अगस्त सबसे गर्म माह भी रहे। तीनों माह में तापमान 0.23 डिग्री सेल्सियस अधिक था। नासा रिकॉर्ड के अनुसार 1951 से लेकर 1980 के बीच सबसे गर्म मौसम का औसत तापमान करीब 1.2 डिग्री सेल्सियस था। लेकिन अगर बात की जाए अगस्त माह कि तो 1.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म था। धरती के उत्तरी गोलार्ध में जून से लेकर अगस्त तक गर्मी रहती है। इस गर्मी के चलते हवाई और कनाडा में भयानक जंगली आग भी लगी थी।  

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दक्षिणी अमेरिका, जापान और यूरोप में भी बहुत ज्यादा भयानक हीटवेव भी हुआ। जबकि मध्य यूरोप, ग्रीस और इटली में बेमौसम तेज बारिश हुई। नासा के अध्यक्ष बिल नेल्सन ने कहा कि 2023 के गर्मी के महीनों ने नया रिकॉर्ड बनाया है। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं। ये हमें बताते हैं कि हम एक निरंतर बढ़ते तापमान की ओर बढ़ रहे हैं। दुनिया जल रही है। 

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इस बढ़ते तापमान ने कनाडा के जंगलों में भयंकर आग लगा दी। जबकि यूरोप और एशिया को बहुत भारी नुकसान हुआ। ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन हमारे ग्रह और अगली पीढ़ियों को खतरे में डाल रहे हैं। GISTEMP नासा के तापमान डेटा का स्रोत है। नासा ने तापमान को जमीन, पानी और हवा में जमा करने के लिए यंत्र और स्टेशन लगाए हैं। अल-नीनो की वजह से समुद्र का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि इस वर्ष गर्मी के महीने बहुत अधिक जल रहे हैं। ऐसी वजह से इस साल की गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। 

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इस बार अल-नीनो ने अमेरिका, यूरोप और एशिया में भयानक मौसमी बदलाव किया। यही कारण है कि मरीन हीटवेव बढ़ रहा है। यानी समुद्री जल निकासी। इसके परिणामस्वरूप बेमौसम तूफान आ रहे हैं। कहीं अचानक बाढ़ आ गई। इसलिए जंगलों में कहीं आग लग रही है। दिन लगातार गर्म होते जा रहे हैं। अगले वर्ष फरवरी, मार्च और अप्रैल में अल-नीनो का सबसे बुरा प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे हवा बदलेगी। गर्म समुद्री पानी अमेरिका की तरफ बढ़ेगा। जो पूरे दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका, पश्चिमी प्रशांत, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया पर प्रभाव डालेगा। दुख की बात है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है। सभी जीवों को और बुरी परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित नहीं किया जा रहा है उससे वायुमंडल बदतर होता जा रहा है। इस साल की गर्मी ने दुनिया भर में कई जंगलों को जला डाला। तूफान हुआ। चक्रवाती तूफान बढ़ गए। बाढ़ आ गई। फ्लैश फ्लड के कई मामले देखे गए।