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UP में 10 कीटनाशक दवाओं की बिक्री पर 60 दिनों तक लगी रोक, जानिए वजह

UP News :उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में धान में छिड़काव होने वाले कीटनाशकों की बिक्री पर 60 दिन तक रोक लगा दी गई है। दरअसल इन पेस्टिसाइड का उपयोग धान की फसल को रोग कीट पतंगो से बचाने के लिए किया जाता है। उत्तर प्रदेश के 30 जनपदों में एक फिरोजाबाद भी शामिल है जहां कितना सके दवा बिक्री पर 60 दिनों तक प्रतिबंध लगाया गया है।

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UP में 10 कीटनाशक दवाओं की बिक्री पर 60 दिनों तक लगी रोक, जानिए वजह

The Chopal, Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में 30 जनपदों में धान में छिड़काव होने वाली पेस्टिसाइड अब 60 दिन तक नहीं बिकेगी। इसके लिए सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल इन दावों का उपयोग बासमती धान की फसल को बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है। हालांकि विदेश में निर्यात किए जाने वाले  बासमती धान में ऐसे रसायनों की मात्रा ज्यादा पाए जाने पर चावल के निर्यात में कमी आने के बाद सरकार योगी सरकार ने यह फैसला लिया है।

प्रदेश के जिन 30 शहरों में कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें से एक जिला फिरोजाबाद भी है. फिरोजाबाद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 30 जनपदों के लिए 10 कीटनाशक दवाओं को 60 दिनों के लिए प्रतिबन्धित किए जाने के पीछे मुख्य कारण बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाने का है। इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने 10 पेस्टिसाइड के प्रयोग को पर रोक लगाई है।

उन्होंने कहा कि बासमती चावल में लगने वाले कीटों एवं रोगों की रोकथाम के लिए किसानों द्वारा कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों के अवशेष चावल में पाए जा रहे हैं. जिससे निर्यात प्रभावित हो रहा है। बासमती चावल में फफूंदनाशक रसायन ट्राईसाइक्लाजोल अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर (एमआरएल) से अधिक पाए जाने के कारण निर्यात में 15 प्रतिशत तक गिरावट आई है।

एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेकंट अथारिटी द्वारा कृषि विभाग को अवगत कराया गया है कि यूरोपीय संघ द्वारा बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल रसायन की मात्रा मानक से अधिक पाए जाने के कारण इसके यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के निर्यात में कमी आई है।

इन जिलों में लगा पेस्टिसाइड प्रयोग पर प्रतिबंध

इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 60 दिनों की अवधि के लिए राज्य के 30 जिलों यथा आगरा, अलीगढ़, औरेया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलन्दशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर एवं सम्भल में बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल, ब्यूप्रोफेजिनएसीफेट, क्लोरोपाइरीफास, हेक्साकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड एवं कार्बण्डाजिम कीटनाशकों के सभी प्रकार के फार्मूलेशन की बिक्री, वितरण और प्रयोग को प्रतिबंधित किया गया है।

गुणवत्ता से भरपूर होगी बासमती चावल की पैदावार

इससे गुणवता से भरपूर बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि की जा सकेगी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जनपद के सभी कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि कोई भी विक्रेता बासमती धान में लगने वाले विभिन्न प्रकार के कीटों और बीमारियों में प्रतिबंधित किए गए कीटनाशकों का प्रयोग न कराएं। यदि किसी विक्रेता को ऐसे कीटनाशकों की बिक्री करते पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जैविक कीटनाशको का करें प्रयोग

सभी कीटनाशक विक्रेताओं को सलाह दी जाती है कि बासमती धान में सन्तुलित मात्रा में वैकल्पिक कीटनाशकों का प्रयोग करने, नियंत्रण की आईपीएम पद्धितियों का प्रयोग करने एवं जैव कीटनाशकों जैसे नीम ऑयल, ट्राईकोडरमा, व्युवेरिया बेसियाना, स्यूडोमोनास, मैटाराइजियम, बीटी, एनपीवी की बिक्री को बढ़ाया जाए तथा कुछ वैकल्पिक उपायों जैसे लाइट ट्रेप, फेरोमोन ट्रेप, स्टिकी ट्रेप और ट्राइकोकार्ड का प्रयोग कराया जाए।

जनपद के बासमती उत्पादक किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फसल पकने के एक माह पूर्व से कीटनाशकों का प्रयोग पूर्ण रूप से बन्द कर दें, जिससे कटाई के उपरान्त फसल में कीटनाशकों के अवशेष विद्यमान न रहें।