UP में नई नीति को मंजूरी, निजी निवेशक भी बना सकेंगे बस अड्डे और टूरिस्ट बस पार्क
UP News : महत्वपूर्ण और आधुनिक पहल है जो उत्तर प्रदेश में यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए उठाई गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 23 प्रमुख शहरों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर आधुनिक बस अड्डों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी गई है।

Uttar Pradesh News : स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और आल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क नीति 2025' को उत्तर प्रदेश सरकार ने मंजूरी दी है। इस नीति के तहत प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में नियामक निकाय बनाया जाएगा। हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में नियामक निकाय बनाया जाएगा -कैबिनेट ने परिवहन विभाग का यह प्रस्ताव मंजूर किया।
उत्तर प्रदेश में अब निजी निवेशकों को बस स्टेशन और पर्यटक बस पार्क बनाने का अधिकार मिलेगा। इसके लिए, परिवहन विभाग की 'स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क नीति 2025' को मंगलवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी। उसने कहा कि बस स्टैंड के लिए दो एकड़ जमीन चाहिए। नई नीति के अनुसार, हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में एक नियामक निकाय बनाया जाएगा. यह निकाय स्टेज कैरेज बस टर्मिनलों, कॉन्ट्रैक्ट कैरेज पार्कों और पूरे भारत में पर्यटक बस पार्कों की स्थापना करेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश में मूलभूत सुविधाओं और सड़कों का संपर्क बढ़ने से बसों की संख्या काफी बढ़ी है। इससे पार्किंग की उनकी समस्या भी बढ़ी है। इन बसों की बेतरतीब खड़ी होने से हादसे भी हो सकते हैं। परिवहन विभाग ने इसे देखते हुए यह प्रस्ताव दिया था। इस विशिष्ट नीति को सिर्फ इस जरूरत को पूरा करने के लिए मंजूरी दी गई है।
नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा
नई नीति के अनुसार, प्रत्येक जिले के डीएम की अध्यक्षता में एक नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा। यह प्राधिकरण ही स्टेज कैरेज बस टर्मिनलों, कॉन्ट्रैक्ट कैरेज पार्कों और पूरे भारत में पर्यटक बस पार्कों की स्थापना के लिए आवेदन करेगा। इस नियामक प्राधिकरण के विशेषज्ञ सदस्यों में एसएसपी या पुलिस कमिश्नर द्वारा नामित अधिकारी, नगर आयुक्त या विकास प्राधिकरण के सचिव, नगर पालिका-नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी, एसडीएम, सीओ, एआरटीओ (प्रवर्तन), परिवहन निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता और अध्यक्ष शामिल होंगे। यह नीति कहती है कि निजी बस स्टैंड के लिए दो एकड़ जमीन चाहिए। बस स्टैंड को सिर्फ दो एकड़ में बनाना होगा।
दो एकड़ जमीन के अलावा कम से कम 50 लाख रुपये की सम्पत्ति
बस टर्मिनल या पार्क बनाने के लिए आवेदक को दो एकड़ जमीन के अलावा कम से कम पांच सौ लाख रुपये की संपत्ति और पिछले वित्तीय वर्ष में दो करोड़ रुपये का टर्न ओवर चाहिए। आवेदक एक विधिक इकाई होगा, जो एकल या कंसोर्टियम के रूप में आवेदन कर सकता है। एक जिले में अधिकतम दो बस अड्डे नहीं हैं इस नीति के अनुसार, आवेदक राज्य भर में दस से अधिक बस स्टेशन नहीं बना सकेगा। इसके अलावा, एक जिले में दो से अधिक बस स्टेशन नहीं बनाए जा सकेंगे। साथ ही एक मार्ग पर एक से अधिक बस स्टेशन नहीं बना सकेगा। 10 वर्ष की अवधि के लिए निजी निवेशक या उसकी संस्था को काम करना होगा। अगले दस वर्षों में, अगर उसका प्रदर्शन संतोषजनक रहता है, तो उसे नवीनीकरण की अनुमति दी जाएगी। पंजीकरण के एक साल बाद ही हस्तांतरित नीति में यह भी कहा गया है कि ऐसे सिर्फ अड्डों का स्वामित्व किसी अन्य संस्था को पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से एक साल बाद ही हस्तांतरित किया जा सकता है।
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, विनियामक प्राधिकरण ने संचालक को सुनवाई का अवसर देने के बाद प्राधिकरण को निलंबित या रद्द करने का अधिकार होगा। बस अड्डा विनियामक प्राधिकरण के किसी भी आदेश के खिलाफ संचालक मंडलायुक्त के समक्ष अपील कर सकता है। प्राइवेट बस मालिकों को परिवहन विभाग कांट्रैक्ट कैरिज परमिट और स्टेज कैरिज परमिट देता है। कांट्रैक्ट कैरिज परमिट के तहत बस को सवारियां एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना होता है। फुटकर सवारियां ले जाना उनका अधिकार नहीं है। स्टेज कैरिज परमिट में फुटकर सवारियां बैठ सकती हैं। कांट्रैक्ट कैरिज परमिट स्टेज कैरिज परमिट से अधिक महंगा है।