UP में प्लास्टिक की सड़क पर दौड़ेंगी गाड़ियां, आम जनता के लिए अनूठी पहल
UP News : उत्तर प्रदेश में शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक चकाचक सड़कों का जाल जाकर कमेंट कनेक्टिविटी बेहतर बनाई जा रही है। उत्तर प्रदेश के इस जिले में अब सड़क निर्माण के मामले में अनूठी शुरुआत की गई है। जिले में आपको अब प्लास्टिक से बनी सड़क पर सफर करने का मौका मिलेगा।

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक कचरे से सड़कों के निर्माण की एक बड़ी पहल की जा रही है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सड़क निर्माण की लागत को कम करना है। आप ग्रामीण इलाकों में मिट्टी की सड़कों, खेत में जाने के लिए पगडंडी, खड़ंजा, इंटरलॉकिंग और डामर की सड़कों, सीसी रोडों और गिट्टी-सीमेंट की सड़कों पर घूम सकते हैं। लेकिन, प्लास्टिक से बनी सड़कों के बारे में कभी सुना है? अगर आपने नहीं सुना है तो उत्तर प्रदेश के इस जिले में प्लास्टिक से बनी सड़क जल्द ही बनाई जाएगी।
प्लास्टिक कचरे से सड़कें
उत्तर प्रदेश के औरैया में प्लास्टिक कचरे से सड़कें बनाने की एक अनूठी पहल शुरू हुई है। इससे टिकाऊ सड़कें बनाई जाएंगी और पर्यावरण को बचाया जाएगा। Single-use प्लास्टिक को प्रोसेस करके सड़क बनाने की सामग्री बनाई जा रही है। यह तकनीक डामर और सीमेंट की सड़कों की तुलना में अधिक मजबूत है और जलरोधी है। इससे प्लास्टिक प्रदूषण भी कम होगा।सिंगल यूज प्लास्टिक की पन्नियों और मोमियों से बनाई गई सड़क पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाएगी और आसानी से नष्ट नहीं होगी।
प्लास्टिक की सड़कें औरैया में जल्द ही बनाई जाएंगी। यह सीसी रोड और डामर से अधिक मजबूत होगा। जिला मुख्यालय ककोर के निकट आदर्श ग्राम पंचायत बूढ़ादाना में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत मशीनें लगाई गई हैं, जो पॉलिथिन को कतरन में बदलकर सड़क बनाने के लिए तैयार करती हैं।
प्लास्टिक कचरे से प्राप्त सामग्री
ग्राम पंचायत बूढ़ादाना में पहली जगह रिसोर्स रिकवरी सेंटर है। यहां एक कमरे में बोरियो में एकल प्रयोग की प्लास्टिक की पन्नियां भरी पड़ी हैं। इन्हें खेत, खलिहान, गांव, कस्बा, दुकानों, प्रतिष्ठानों और आसपास की सड़कों से इकट्ठा किया गया है। ग्राम प्रधान बूढ़ादाना मोहित सिंह ने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में एक बार प्रयोग की जाने वाली प्लास्टिक के रैपर (जैसे मसाले के रैपर या बिस्कुट के रैपर) को आसपास की ग्राम पंचायतों से लाया जाता है।
10 कुंतल पूरे होने पर सड़क का निर्माण कार्य शुरू होगा
ग्राम प्रधान ने बताया कि वे रिसोर्स सेंटर में जमा होते हैं। फिर उन्हें छंटाई करने के बाद प्लास्टिक बेस्ट मैनेजमेंट फटका मशीन में डाला जाता है। यहाँ से श्रेडर मशीन से इन्हें बारीक कतरनों में बनाया जाता है, जिससे प्लास्टिक की मोमियो से सड़क बनाई जाएगी। डामर रोड और सीसी रोड से सड़क मजबूत होगी। बारिश में पानी भी इसे खराब नहीं करेगा। उनका कहना था कि अभी तक चार कुंतल प्लास्टिक को कतरन में बदल दिया गया है। 10 कुंतल होने पर यह सड़क निर्माण के लिए भेजा जाएगा।
ये सड़क खराब नहीं होगी
लखनऊ की सड़क प्लास्टिक मिश्रित थी, जो अधिक लोड कर सकती है, औरैया डीएम डाक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया। उनका कहना था कि डामर की सड़कें बारिश या जलजमाव से खराब हो जाती हैं, लेकिन प्लास्टिक की सड़कें बारिश या जलजमाव से खराब नहीं होती। मुख्य बात यह है कि बारिश और जलजमाव के कारण डामर की सड़कें उखड़ जाती हैं और खराब हो जाती हैं। लेकिन प्लास्टिक की सड़कें जल्दी नहीं खराब होंगी।