The Chopal

महिला को MSc-BEd के बाद नहीं मिली सरकारी नौकरी, अब किसान बनकर चला रहे घर

कलम और डस्टर होना चाहिए, उनमें ट्रैक्टर की स्टेयरिंग और ब्रेक हैं। अंजू, मास्टर इन साइंस और बीएड करके खेतों में हल चला रही थी, सरकारी नौकरी का सपना देखा था। साल-साल की तैयारी के बावजूद नौकरी नहीं मिली तो पिता की दस एकड़ की खेती संभालना शुरू किया। जानिए विस्तार से....
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Woman did not get government job after MSc-BEd, now running her household as a farmer

The Chopal : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी शिक्षक न बन पाने पर अंजू ने कहा कि पहले ही सरकारी नौकरी की संभावनाएं कम थीं, अब सपने टूट गए। कितनी मेहनत करने के बाद भी काम नहीं मिलता तो बुरा लगता है। अंजू कहती हैं कि खेती से भी घर चलाने की तरह आमदनी मिलती है।

जिन हाथों में कलम और डस्टर होना चाहिए, उनमें ट्रैक्टर की स्टेयरिंग और ब्रेक हैं। अंजू, मास्टर इन साइंस और बीएड करके खेतों में हल चला रही थी, सरकारी नौकरी का सपना देखा था। साल-साल की तैयारी के बावजूद नौकरी नहीं मिली तो पिता की दस एकड़ की खेती संभालना शुरू किया। अंजू की कहानी बताती है कि अगर लड़कियां काम करना चाहें तो वे कोई भी काम कर सकती हैं। 

मैनपुरी की हवेली में अंजू यादव रहती हैं। अब उनकी उम्र 26 वर्ष है। अंजू यादव ने 2018 में केमेस्ट्री में एमएससी किया। तब उन्होंने बीएड करके सरकारी शिक्षक बनने का सपना संजोया था। अंजू ने यूपी पुलिस, यूपीटीईटी और लेखपाल के लिए भी पत्र लिखे. उनका लक्ष्य था सरकारी नौकरी पाना। लेकिन अंजू को भाग्य ने साथ नहीं दिया। अंजू इसकी वजह भी काम की कमी बताती हैं। 

अंजू का परिवार किसान है। अंजू के पिता 65 वर्ष की उम्र में हैं। जब अंजू ने देखा कि इतने साल की पढ़ाई के बावजूद उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो उसे अपने पिता की मदद करने का मन हुआ। बुढ़ापे की वजह से उनके पिता खेती नहीं कर पाते थे। वहीं, बीटेक करने के बाद उनका भाई एमटेक करके एक निजी कंपनी में काम करता है। ऐसे में अंजू ने दसवीं एकड़ की खेती खुद संभाली। ये उनके लिए बिल्कुल नया नहीं था क्योंकि वे पढ़ाई के दौरान भी कभी-कभी खेती करती थीं। उस समय, उन्होंने स्प्रे मशीन से खेतों में कीटनाशक छिड़काव, बुआई और निराई करना सीखा और ट्रैक्टर चलाना सीखा, जिससे वह इस काम में खुश हो गईं। अब अंजू खुद खेती-किसानी करती हैं और घर चली जाती हैं। 

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अंजू को खेती में बहुत मेहनत करने के बावजूद उनकी सालाना कमाई बहुत कम है। उसने सरकारी नौकरी मिलने पर कम मेहनत से अपनी जिंदगी आसान बना सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी शिक्षक नहीं बनना चाहिए। अंजू इसके बारे में कहती हैं कि नौकरी मिलने की संभावनाएं पहले ही कम थीं, लेकिन अब यह एक सपने के टूट जाने जैसा है। कितनी मेहनत करने के बाद भी काम नहीं मिलता तो बुरा लगता है। मैं नहीं जानता कि मेरा भविष्य क्या होगा।

महिला किसानों के सामने आने वाली चुनौतियां

अंजू बताती हैं कि गांव-समाज ने बहुत पढ़ लिखकर खेती करने पर बहुत प्रशंसा की। मैं इस पर बहुत ध्यान नहीं दिया, क्योंकि यह सामान्य है। नौकरी नहीं मिली तो खेती करना ही आखिरी उपाय था। मैं सिर्फ काम करना था। अंजू ने कहा कि मेरी उम्र २६ वर्ष हो गई है। गांव-देहात में 20-22 वर्ष की उम्र में लड़की को शादी की सलाह दी जाती है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। लेकिन लोगों का काम है कहना। मैं अपना काम नहीं कर पाता अगर मैं समाज की बातों पर ध्यान देता। कई बार खेतों में रात में भी पानी देने जाना पड़ता है। अक्सर प्रकाश नहीं रहता। लेकिन काम करना ही है। गांववासी अक्सर पूछते हैं कि लड़की रात में अकेली जा रही है। लेकिन मैं इन सब बातों को नहीं देखती। मैं शादी करने के लिए भी प्रेरित नहीं हूँ और मेरे घर वाले मेरा साथ देते हैं।

कुछ ऐसा होता है अंजू पूरे दिन खेती करती है। अंजू बताती हैं कि वह तीन फसलें उगाती हैं: रबी, खरीफ और जायद। वह फसल उगाने से लेकर कटवाने तक सभी कार्य करती हैं। अंजू का दिन सुबह चार बजे शुरू होता है। बाद में वह अपने जानवरों के लिए चारे बनाती हैं। 9 बजे से 10 बजे तक वे अपने खेतों में फसल संभालने के लिए जाती हैं। इसके बाद वे घरेलू काम करने लगती हैं। 

समस्या अभी भी हल नहीं हुई है

अंजू कहती हैं कि खेती से भी घर चलाने की तरह आमदनी मिलती है। सरकार कहती है कि एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) दोगुनी हो जाएगा, लेकिन ये सिर्फ अनुमान हैं। एमएसपी दोगुना नहीं होता, न सरकारी नौकरी मिलती है। मेरे साथ पढ़ने वाले सभी बेरोजगार हैं। साथ ही, वे लोग रोजी-रोटी चलाने के लिए कुछ छोटे मोटे काम कर रहे हैं। ना हमारी आय का फिक्स है। खेती कभी लाभदायक होती है, कभी नुकसानदायक होती है। सरकार ने ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया है। जो विद्यार्थी अभी पढ़ रहे हैं, उन्हें भी स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी।

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