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देश के इस राज्य में नए तरीके से 300 मेगावॉट की लगाई जाएगी सौर परियोजनाएं, जानें किसानों को कैसे मिलेगा लाभ

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The Chopal, देश में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें लगातार कई योजनाए चला रही है। इसी तर्ज पर अब पंजाब राज्य सरकार ने भी राज्य में 300 मेगावॉट क्षमता की सौर बिजली परियोजना लगाने का फैसला किया है । बीते सोमवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक पंजाब सरकार इस योजना के तहत 00 मेगावॉट क्षमता की सौर फोटोवोल्टिक परियोजना नहर के ऊपर तथा 100 मेगावॉट क्षमता की परियोजना जल क्षेत्र में लगायी जाएगी। इस बयान के मुताबिक पंजाब के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री अमन अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया. इस फैसले में अरोड़ा ने कहा कि नहर के ऊपर प्रस्तावित 200 मेगावॉट क्षमता की सौर परियोजना चरणबद्ध तरीके से ही लगायी जाएगी. और पहले चरण में 50 मेगावॉट क्षमता की परियोजना ही लगायी जाएगी. परियोजना का क्रियान्वयन पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी बनाओ, चलाओ और सौंप दो (बीओओ) के आधार पर ही करेगी.
   
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) को इन परियोजनाओं की स्थापना के लिए फंड देने का प्रस्ताव भी दिया गया है. कनाल-टॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण संकरी और छोटी सहायक नदियों पर ही किया जाएगा. इसके लिए कम सिविल निर्माण की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि 20 % वीजीएफ के लिए लेखांकन के बाद, नहर शीर्ष सौर पीवी प्रतिष्ठानों की लागत करीब 5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट तक होने का अनुमान है.

इसकी कीमत लगभग 4.80 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट की होगी

200 मेगावाट की कैनाल-टॉप सौर पीवी परियोजनाएं नहर के पानी के वाष्पीकरण को रोकेंगी और कम से कम 1,000 एकड़ मूल्यवान कृषि भूमि को भी बचाएंगी. परियोजनाओं से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की भी उम्मीद बन रही है. साथ ही झीलों और जलाशयों के संभावित क्षेत्र का उपयोग करने के लिए फ्लोटिंग सोलर पीवी भी अब देश में अपनाया जा रहा है जो कि एक नया विचार है. इससे हजारों एकड़ कृषि भूमि का संरक्षण भी होगा. 20% वीजीएफ के हिसाब से फ्लोटिंग सोलर पीवी प्रोजेक्ट्स की कीमत लगभग 4.80 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट तक की होगी.

आवश्यक कार्यों के लिए संसाधनों को मुक्त करना 

बता दे कि बिल्ड-ओन-ऑपरेट (बीओओ) एक प्रोजेक्ट डिलीवरी मॉडल है जो आमतौर पर बड़े, जटिल पीपीपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए अधिक उपयोग किया जाता है. एक विशिष्ट बीओओ परियोजना में एक सरकारी विभाग भी शामिल होता है जो एक निजी कंपनी को समय की एक निर्धारित अवधि के लिए बुनियादी ढांचे का वित्तपोषण, निर्माण और संचालन करने की अनुमति भी देता है, जिसमें निजी कंपनी के पास बुनियादी ढांचे का स्वामित्व भी होता है. बीओओ मॉडल देश को निजीकरण के करीब ले जाता है. यह एक इकाई के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी पूंजी का उपयोग करने का एक तरीका भी है, जबकि अन्य आवश्यक मिशनों के लिए संसाधनों को मुक्त भी करना है.

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